सामाजिक

हिन्दू इतनी बड़ी संख्या में मुसलमान कैसे हो गए?

पंडित लेखराम जी की तर्क शक्ति गज़ब थी। आपसे एक बार किसी ने प्रश्न किया की हिन्दू इतनी बड़ी संख्या में मुसलमान कैसे हो गए। अपने सात कारण बताये।

१. मुसलमान आक्रमण में बलातपूर्वक मुसलमान बनाया गया।

२. मुसलमानी राज में जर, जोरू व जमीन देकर कई प्रतिष्ठित हिन्दुओ को मुसलमान बनाया गया।

३. इस्लामी काल में उर्दू, फारसी की शिक्षा एवं संस्कृत की दुर्गति के कारण बने।

४. हिन्दुओं में पुनर्विवाह एवं विधवा विवाह न होने के कारण अनेक हिन्दू औरतो ने मुसलमान के घर की शोभा बढाई तथा अगर किसी हिन्दू युवक का मुसलमान स्त्री से सम्बन्ध हुआ तो उसे जाति से निकल कर मुसलमान बना दिया गया।

५. मूर्तिपूजा एवं छुआछूत की कुरीति के कारण कई हिन्दू विधर्मी बने।

६. मुसलमानी वेश्याओं ने कई हिन्दुओं को अपने जाल में फंसा कर मुसलमान बना दिया।

७. वैदिक धर्म का प्रचार न होने के कारण मुसलमान बने।

अगर गहराई से सोचा जाये तो पंडित जी ने हिन्दुओं को जाति रक्षा के लिए उपाय बता दिए हैं, अगर अब भी नहीं सुधरे तो हिन्दू कब सुधरेगे।

डॉ विवेक आर्य

2 thoughts on “हिन्दू इतनी बड़ी संख्या में मुसलमान कैसे हो गए?

  • विजय कुमार सिंघल

    पंडित जी ने जो कारण बताये हैं सब सही हैं. इनमें से प्रथम दो का सबसे अधिक प्रभाव पड़ा था.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    डाक्टर साहिब , आप का विषय बहुत , महत्वपूरण है कियोंकि यह मैं पता नहीं कितनी दफा रीपीट कर चुक्का हूँ और रीपीट करने में बोर नहीं होता हूँ . कोई समय था था जब हिन्दू धर्म अफगानिस्तान से भी दूर उज्बेकिस्तान तुर्क्मिन्स्तान तक हुआ करता था . आज बीस करोड़ पाकिस्तान के , बीस करोड़ अफगानिस्तान के और बीस करोड़ भारत के मुसलमान कभी हिन्दू हुआ करते थे . कैसे यह सब हुआ यह तो एक और विषय है . लेकिन जो बुरी बात अभी भी हिन्दू धर्म की है , वोह यह कि इस सब से भी कुछ नहीं सीखा . मनु जी ने जो अर्थ शास्त्र लिखा था , हो सकता है उस की सोच तब यही होगी कि जो भी इंसान कोई काम करता है उस को उसी नाम से पुकारा जाए , और जब वोह अपना काम बदल ले तो काम का नाम भी वोह ही हो जो उस ने शुरू किया है जैसे यहाँ इंग्लैण्ड में है . जब कोई गोरा मकान बनाते समय इंटें लगाता है तो उस को ब्रिक्की कहते हैं , जब वोह ही गोरा घरों से कूड़ा करकट उठाने का काम करे तो उस को डस्ट मैंन कहते हैं , अगर वोह ही गोरा किसी बार में काम करे तो उस को बार मैंन कहते हैं , अगर वोह बस्सें चलाने लगे तो बस मैंन कहलाता है यानी उस की अपनी जात कोई नहीं और शाम को सभी गोरे चाहे वोह डस्ट मैंन हों चाहे टॉयलेट साफ़ करने वाले हों चाहे डाक्टर हों सभी बार में इकठे बैठे बीअर पी रहे होते हैं लेकिन जब मैंने यहाँ आ कर यह देखा तो मुझे हमारी सोच पर शर्म आई . अब बात सब से बुरी बात यह है कि जात पात का कोहड इतना घर कर चुक्का है कि हमें यूनाईट नहीं होने देता . अभी तक दलितों को बहुत से मंदिरों में दाखल होने की मनाही है . अगर कोई हिम्मत करके चला जाए तो उस को पीटा जाता है . मैं सिख हूँ और दुःख से कहता हूँ यह जात पात की बीमारी सिखों ने भी नहीं छोडी हालांकि सिख धर्म बना ही जात पात को दूर करने लिए था . सिख धर्म ग्रन्थ में सभी जातों के धर्म गुरुओं की बाणी है . और इस कोहड को दूर करना हमारे धर्म गुरुओं का फ़र्ज़ था लेकिन उन्होंने तो लोगों को और भी इस अंधविश्वास के अँधेरे में धकेल दिया . इस से साफ़ ज़ाहिर है कि नीची जातों को धर्म तब्दील करना कोई मुश्किल बात नहीं है और यह धीरे धीरे हो रहा है , इस्लाम में जाने की तो बात छोडो क्रिस्चियन इतने बन रहे हैं कि आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते . जितनी देर हिन्दू धर्म जात पात के कैंसर को ख़तम करके सभी को बराबर नहीं समझता उतनी देर तक हिन्दू धर्म की संख्य घटती रहेगी .

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