गीतिका/ग़ज़ल

दिल तोड़ने के…..

 

दिल तोड़ने के आजकल कई बहाने होते हैं
मोहब्बत करने वाले आजकल सयाने होते हैं

तोहफे में जख्मे जिगर देना अदा ए हुश्न है
दिले बेकरार लिए हम जैसे दीवाने होते हैं

ख्वाबों ख्याल में साये सा तुम्हें रख लिया हूँ
अनलिखे से भी इस जहाँ में अफ़साने होते हैं

निसारे यार तक मुहब्बत करने का इरादा है
कयामत तक वादा ए उलफत निभाने होते हैं

हम तो चूर रहेंगें तेरे प्रेम के नशे में ता उम्र
दिखाने के लिए हम जैसे खाली पैमाने होते हैं

किशोर कुमार खोरेंद्र
(जख्मे जिगर=प्रेम का जख्म ,दिले बेकरार=आहत हृदय ,अफ़साने=किस्से ,कयामत=प्रलय
वादा ए उलफत=प्यार का वचन ,पैमाने= शराब का गिलास )

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

3 thoughts on “दिल तोड़ने के…..

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया ग़ज़ल !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब , ख़ास कर जो उर्दू के अक्षरों के अर्थ भी लिखते हैं अच्छा लगा .

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