कविता

“ना जमीं में हूँ ना आसमां में हूँ”

“ना जमीं में हूँ ना आसमा में हूँ,
तुझे छूकर जो गुजरी मैं उस हवा में हूँ।
ना नफरती बाजार में हूँ ना ही किसी के गुनाह में हूँ,
मैं मोहब्बत हूँ तो मोहब्बत की जुबां में हूँ।
मेरे दुश्मन भी मेरा कुछ कर नहीँ सकते,
मैं ईश्वर की कृपा में हूँ , बुजुर्गो की दुआ में हूँ।
मुझमें कभी भी घमंड मिल ही नहीँ सकता,
मैं खुशियोँ की दुकां मे हूँ फकीरों के मकां में हूँ।
मुझे कोई भी उम्र बूढ़ा कर ही नहीं सकती,
जब तक माँ के चरणो में हूँ तब तक जवां मैं हूँ…।।।”

नीरज पाण्डेय

नाम- नीरज पाण्डेय पता- तह. सिहोरा, जिला जबलपुर (म.प्र.) योग्यता- एम. ए. ,PGDCA Mo..09826671334 "ना जमीं में हूँ,ना आशमां में हूँ, तुझे छूकर जो गुजरी,मैं उस हवा में हूँ"

6 thoughts on ““ना जमीं में हूँ ना आसमां में हूँ”

  • जवाहर लाल सिंह

    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति!

    • नीरज पाण्डेय

      मैं आप सब का बेहद आभारी हूँ,कृपया मेरी त्रुटियो को मुझे बताकर अपना आशीष दें।
      और मुझे सही दिशा दे।
      सरजी आभार।

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    बेहद खुबसूरत ….. God Bless you

    • नीरज पाण्डेय

      मैं आप सब का बेहद आभारी हूँ,कृपया मेरी त्रुटियो को मुझे बताकर अपना आशीष दें।
      और मुझे सही दिशा दे।
      शुभ शुभ आभार।

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत सुन्दर !!

    • नीरज पाण्डेय

      मैं आप सब का बेहद आभारी हूँ,कृपया मेरी त्रुटियो को मुझे बताकर अपना आशीष दें।
      और मुझे सही दिशा दे।
      सर जी शुभ शुभ आभार।

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