परावर्तन
पपीहे ने एक दिन चाँद से पूछा क्या ये चांदनी तुम्हारी है चाँद ने सत्य का मार्ग अपनाया कहा …..नहीं
Read Moreआत्म-समर्पण का अभिप्राय है अपनी खुदगर्जी या स्वार्थ का त्याग। जब तक ‘मै’ हूँ का भाव बना रहता है, तब
Read Moreशंका- एक ईसाई भाई ने शंका करी है कि आर्यसमाजियों में श्रद्धा और आस्था नहीं होती इसलिए वह अन्य मतों
Read Moreहम इस लेख में प्रार्थना और प्रारब्ध पर विचार कर इन दोनों के परस्पर सम्बन्ध पर भी विचार करेंगे। प्रार्थना
Read Moreवर्ष 2014 अब अलविदा हो रहा है और हम सभी लोग आगामी 2015 की तैयारियों में जुटे हैं। 2014 का
Read Moreमैं मन वीणा का तार, स्वरलिपियों की झंकार नित नूतन हूँ नवकार, प्राणों का प्राणाधार जल थल मरू आकाश में,
Read More‘गुरु दक्षिणा’ -मनोहर चमोली ‘मनु’ ………………………………. नमन ने पूछा-‘‘मैम। ये गुरु दक्षिणा क्या होती है?’’ गीता मैडम यह सुनकर चैंकी।
Read Moreएक शब्द या एक किताब को पढ़कर … किसी पेड़ से उतरती गिलहरियों को देख कर …. या भिखारी के कटोरे से
Read Moreअभिव्यक्ति की आज़ादी क्या हिन्दू धर्म के खिलाफ बकवास करने से ही मिलती है? अगर सिरफिरा मकबूल हुसैन हिन्दू देवी
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