प्रतीक
नदी के किनारे की रेतीली स्लेट पर अब भी तुम्हारे मन के लहरों की उंगलियाँ कुछ लिख रही होंगी हिचकोले
Read Moreनई बहू के गृहप्रवेश करते ही घर में जमा हुई औरतों के बीच कानाफूसी शुरू हो गई| “बडे पन्डित बने
Read More21. प्रथम अभिसार निश्चित समय पर पिता की आज्ञा से अंगरक्षकों से सुरक्षित राजकुमारी देवलदेवी जालिपा माई के उत्सव में सम्मिलित
Read Moreतुम्हारी और मेरी कलम की स्याही तुम्हारी नर्म और मेरी सख्त उंगलियाँ तुम्हारे स्नेह और मेरे प्रेम से युक्त
Read Moreविरोध करना अच्छी बात है। बहुत ही अच्छी बात। विशेषकर क्रान्तिकारी टाइप के लोगों के लिए ये विशेष रूप से
Read Moreअक्सर दबे पाँव वो भी चला आता है घर मेरे जिससे कभी मुलाकात ही ना हुई। आता समझा नहीं इत्तेफ़ाक
Read Moreअकेले ही अकेले हूँ ना साथ कोई है मेरे लोग सारे चले गये तन्हा मैं ही रह गया। राही सभी
Read Moreजब मिटा कर नगर गया होगा क्या वो लम्हा ठहर गया होगा आइने की उसे न थी आदत खुद से
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