कविता

यही है जीवन

पता नहीं ..

कहाँ से आ गए

विरह के तम में

मिलन की ज्योति के

कुछ किरण

जिसके कारण

यह बंधन भी लगता हैं

हमारे पास रह जाए आजीवन

जानते हैं सत्य हैं

देह का विघटन

फिर भी

हम स्वयं को बीज सा
बों -बों..कर
बार बार
इस जहां में करते हैं विचरण

धूप और रंग का

पंखुरियों में पातें हैं सुन्दर मिश्रण

खिल जाता हैं फिर

मन में एक उपवन

अतीत का

हो जाता हैं विस्मरण

पल पल के वर्तमान में

होते रहता हैं

हम सबका युग अतीत पुनर्जन्म

हां यही है जीवन

kishor kumar khorendra

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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