बाल कविता

बाल कविता : खेल तमाशा

बच्चों की फुलवारी सजी है
हंसी सबके चेहरे पर खिली है
हाथी राजा बीच में है विराजे
खूब बज रहे हैं बाजे गाजे
चुहिया नाच रही है ठुमक ठुमक
तोता मैना गा रहे हैं
सब बच्चों को रिझा रहे हैं
अब बंदर मामा की बारी है आई
पर उसने रोनी सूरत बनाई
कहा बंदरिया ने की है पिटाई
कल मैं तेयारी करके आऊॅगा
मि. बीन की एक्टिंग करके बताऊॅगा
सब बच्चों ने ताली बजाई
अब खेल खत्म करने की बारी आई।

– पवन चौहान

पवन चौहान

जन्म - 3 जुलाई 1978 शिक्षा - बी. एस. सी.(नान -मैडिकल), एम. एस. सी. (मैथ्स) पेशा - स्कूल शिक्षक {टी. जी. टी. (नान -मैडिकल)} लेखन की शुरूआत:- (दैनिक भास्कर में पहला लेख प्रकाशित) पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियां विपाशा, वर्तमान साहित्य, शीराजा, साहित्य अमृत, हरिगंधा, जागरण सखी, मेरी सजनी, द संडे पोस्ट, अक्षर-खबर, शैल-सूत्र, जाहनवी, वीणा, कथा-समय, शुभ तारिका, सरोपमा, रु-ब-रु दुनिया, हिमप्रस्थ, युग मर्यादा, जगमग दीप ज्योति, जनप्रिय हिमाचल टूडे आदि। पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताएं वागर्थ, विपाशा, बया, पाखी, कथाक्रम, अक्षरपर्व, रु-ब-रु दुनिया, हिमप्रस्थ, हिमभारती, हरिगंधा, कौशिकी, अक्षर-खबर, शुभ तारिका, शब्द मंच, सरोपमा, जगमग दीप ज्योति। पत्रिकाओं में प्रकाशित बाल कहानियां नंदन, बालवाटिका, बालप्रहरी, बाल हंस, नन्हे सम्राट, बच्चों का देश, बालवाणी, बालभूमि, बालभास्कर, देवपुत्र, बाल प्रभात, पुश्पवाटिका, अभिनव बाालमन, अंतिम जन, दैनिक ट्रिब्यून, जय विजय पत्रिका आदि। बिशेशः- बर्श 2.15 में हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की पांचवीं कक्षा की हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में मेरी बाल कहानी (अनोखी होली) शामिल। पत्रिकाओं में प्रकाशित फीचर व लेख अहा! जिंदगी, हंस, लोकायत, सहारा-समय, शुक्रवार, साहित्य अमृत, हिमप्रस्थ, मेरी सजनी, ये है इंडिया, मातृवंदना, शब्द मंच, सरोपमा, नई दुनिया (तरंग), देशबन्धु (अवकाश), एब्सल्यूट इंडिया, दैनिक ट्रिब्यून (रविवारीय), दैनिक हरिभूमि (रविवारीय भारती), दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, राश्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, अजीत समाचार, पंजाब केसरी, नवभारत, प्रभात खबर, दिव्य-हिमाचल, आलोक फीचर्स (बिहार), गिरिराज (शिमला), शब्द-मंच आदि। इसके अलावा शिमला दूरदर्शन और शिमला आकाशवाणी से कहानी और कविता पाठ। सम्मान:-”शब्द-मंच“ (बिलासपुर, हि. प्र. ) द्वारा लेखन के लिए सम्मान, हिम साहित्य परिषद (मण्डी, हि. प्र.) द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता में मेरी लिखी पहली कहानी को द्वितीय पुरस्कार।

One thought on “बाल कविता : खेल तमाशा

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बहुत खूब !!

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