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देशद्रोह ? अब मजाक बन गया है !

मैंने सुना है की महाभारत के कौरव पांडव भी कहते थे की हम एक दूसरे के लिए कौरव और पांडव हैं लेकिन हस्तिनापुर के शत्रुओं के लिए हम पुरे एक सौ पांच है ! लेकिन उसी हस्तिनापुर की सत्ता के दावेदारों की रस्साकशी में  इस बार के लोकसभा के चुनाव के पहले से लेकर आज तक अपने ही देशवासियों को देशद्रोही करार देने की अब तक तीन घटनाये दुनिया के सामने आई है ! जिनमे से एक पर तो अभी खूब बवाल मचा हुवा है ! और तीन बार ऐसे किसी न किसी पर देशद्रोह का आरोप लगाने वाले ये देशभक्त अपने ताजा आरोप के पहले के दो आरोपों के लिए कोई पुख्ता सबुत आजतक देश के सामने नहीं ला पाएं हैं फिर भी तीसरी बार आरोप लगा रहे हैं और इस बार सबूतों के नाम पर उनके पास कुछ बयान है जिससे वो ये समझ रहे हैं की उनसे एक बार फिर वो देश को बरगलाने में कामयाब हो जाएंगे ! क्यों की इन दिनों उन्हें ये खुशफहमी है की उनके खुद के कथनी और करनी में पूरी तरह से बेदाग़ देशभक्ति छलक रही है !

लेकिन इससे पहले की हम इनके देशभक्ति की पोल खोलें आखिर इस खेल में देश को क्या हासिल हो रहा है इस प्रश्न को मध्येनजर रखें तो यही दुनिया के सामने आता प्रतीत हो रहा है की अब ये हमारी इस मानसिकता को जाहिर कर रहा है की हम देशद्रोह जैसे आरोप को कितने हलके में लेते हैं ,जब मर्जी किसी को खुश करने के लिए देशद्रोह का आरोप लगा दिया और फिर किसीकी नाराजगी देख वापस ले लिया ! फिर दुनिया के सामने हमारे देश निष्ठां का ही तमाशा बने तो बने ,हमे क्या !

अब मैं आप को बता दूँ की इस बार के देशद्रोह आरोप की जन्मदात्री नौकदहन घटना के बाद कांग्रेस के कुछ कहने से पहले ही न भा टा में इस पूरी घटना के पांच संदेहास्पद पहलुओं को सामने लाया गया था जो की पत्रकार और पाठकों की चर्चा का निचोड़ था और ये वही पांच पॉइंट थे जो बाद में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अपने बयानों में कहे !

अब मैं आपसे पूछना चाहता हूँ की कोई भी ऐसी वारदात होने के बाद उसमे आतंक्वादियों का हाथ है या नहीं इसकी जाँच होती या नहीं होती है ? और खासकर तब तो ये और भी जरुरी माना जाता है जब ऐसी घटना की कोई भी आतंकवादी संघठन जिम्मेदारी नहीं लेता ! और ये स्पष्ट नहीं होता की इसमे कोई आतंकव्वादि साजिश है ! क्या ये आम तहकिकात नहीं है ? जो कोई कहे या न कहे की ही जाती है ! या सरकार इस बात का इन्तजार करती है की कोई बयान देगा तब ही हम तहकीकात करेंगे ?? फिर क्या उस तहकीकात को भी देशद्रोही एक्टिविटी  माना जाता है ?

लेकिन फिर सिर्फ कुछ नेताओ के वही बात कह देने से वो देशद्रोही कैसे हो जाते हैं ? बिलकुल इसमें कहने वालों को भी दूध का धुला नहीं कहा जा रहा क्यों की भ ज पा सरकार इसका श्रेय न लें मात्र यही राजनीति उसके पीछे है क्यों की ऐसे दावे को भुनाने की कोशिश बी जे पि ने भी निसंदेह की है लेकिन आसाम और नक्सलियों के हमले को रोकने में वो नाकाम रही इसका आइना भी उसे दिखाना विपक्ष होने के नाते कांग्रेस का स्वाभाविक कदम है !

अब कांग्रेस के बयानों को देशद्रोह की हद तक आरोपित करने का सबसे बड़ा और जायज कारण  यह है की पाकिस्तानी मिडिया ने उसके सहारे से खुद को पाक साफ़ दिखाया ! लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं निकलता की कांग्रेस आतंकवादियों का साथ दे रही है ! ज्यादा से ज्यादा ये हो सकता है की वो पाकिस्तान के लिए सीधे लगनेवाले आरोप से उसे बचने का रास्ता दे रही है ! लेकिन ये सब भूल रहे हैं की कांग्रेस अब सत्ता में नहीं है और जो सत्ता में हैं उनके इस विश्वास में की इसके पीछे पाकिस्तान का ही हाथ है कोई फर्क नहीं पड़ने वाला ! क्यों की ये कोई नई बात नहीं है !!

लेकिन क्या वो इस बात का जवाब देंगे की जिस तरह आज खुलकर कांग्रस को आतंकवादियों का साथ देनेवाले पाकिस्तान के साथ होने का आरोप लगा रहे है वैसा ही पाकिस्तान पर आतंवादियों का साथ देने का सीधा आरोप दुनिया की इतनी बड़ी बड़ी सभाओं में दावते उड़ा कर आने वाले मोदीजी ने कहाँ और कब लगाया ? वहां क्यों सिर्फ इशारों में बात करने के लिए लाचार हो जाते हैं ? जो सच है वो है ! फिर जब भारत में कांग्रेस को देशद्रोही करार देने के लिए ये सच कहने से नहीं डरते तो फिर दुनिया के सामने क्यों साँप सूंघ जाता है ? अगर कांग्रेस के बयानों को देशद्रोही कहना है तो इस निकम्मेपन को ,ढोंग को क्या कहेंगे ? क्या इसे पाकिस्तान हाई लाइट नहीं करता की मोदीजी ने कहीं भी आतंकवाद के लिए सीधे पाकिस्तान को जिम्मेदार नहीं ठहराया ! तो क्या अब आप मोदीजी की इस कायरता को पाकिस्तान का साथ देना कहेंगे ? कायरता हाँ ! यही कह रहा हूँ मैं ! क्यों की इतिहास गवाह है की पाकिस्तान ने हमेशा हर आंतरराष्ट्रीय मौके पर सीधे हाँ सीधे काश्मीर पर ऊँगली उठाई है लेकिन पिछली सरकारों की तरह शेर कहे जाने वाले मोदीजी ने कभी भी ऐसे  खुलकर आंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत में होनेवाले आतंकवाद के लिए पाकिस्तान ही जिम्मेदार होने का सीधा आरोप नहीं लगाया ! जो जुबान देश में इतनी चलती है उसे वहां हो क्या जाता है ?

अंत में दूसरों को उठते  बैठते देशद्रोह का आरोप लगानेवाले इतना जवाब दे की देश के संविधान ही नहीं, बल्कि समाजवाद जैसे मूल तत्वों के खिलाफ जाकर हिन्दुराष्ट्र की साजिश रचने वालों को देशद्रोही कहना चाहिए या नहीं कहना चाहिए ?

सचिन परदेशी

संगीत शिक्षक के रूप में कार्यरत. संगीत रचनाओं के साथ में कविताएं एवं गीत लिखता हूं. बच्चों की छुपी प्रतिभा को पहचान कर उसे बाहर लाने में माहिर हूं.बच्चों की मासूमियत से जुड़ा हूं इसीलिए ... समाज के लोगों की विचारधारा की पार्श्वभूमि को जानकार उससे हमारे आनेवाली पीढ़ी के लिए वे क्या परोसने जा रहे हैं यही जानने की कोशिश में हूं.

2 thoughts on “देशद्रोह ? अब मजाक बन गया है !

  • विजय कुमार सिंघल

    आपका सारा लेख असंगत प्रश्नों से भरा हुआ है. ऐसा लगता है कि आपको किसी का उत्तर चाहिए ही नहीं, बल्कि स्वयं उत्तर तय कर चुके हैं. आपको पता होना चाहिए कि किसी घटना के पीछे आतंकवादियों का हाथ होने की बात यों ही नहीं कह दी जाती. घटना की प्रकृति और उसमें प्रयुक्त वस्तुओं की जांच के बाद ही यह निर्णय किया जाता है कि यह आतंकवादी वारदात है या सामान्य अपराधी की करतूत है.

    • सचिन परदेशी

      जी बिलकुल ! और फिर जब ये भी तय होता है की इसके पीछे पाकिस्तान है तो फिर ये बात दुनिया के सामने क्यों नहीं कही जाती ? दुनिया तो यही कहेगी न की जब आपका प्रधान मन्त्रि नहीं कहता तो हम कैसे मान ले ? भाईजी ! ऐसे अपनी गली में तो ….

      चलिए धन्यवाद की आप मेरे प्रश्नो को प्रश्न तो मान रहे हो !

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