बाल कहानी

बालकहानी – तीन सवाल

सीतापुर गाँव में दीनू नाम का एक किसान रहा करता था I वह बहुत ही सीधा -साधा और मेहनती था I पर उसका पड़ोसी जुगनू बहुत ही चालाक एवं दुष्ट प्रवृत्ति का था I गाँव वालो को अपनी लच्छेदार बातों में फँसाता और तरह तरह की शर्त लगाता I अपनी चालाक बुद्धि से वह ऐसे कठिन सवाल पूछता कि गाँव वाले हमेशा हार जाते और उन्हें कुछ न कुछ उस देना ही पड़ता I

दीनू को तो ना जाने वो कितनी बार बेवकूफ़ बना चूका था I ऐसे ही एक बार उसने दीनू को किसी शर्त में हरा दिया और उसके बैल हड़प लिए I दीनू पर तो मानों गाज गिर गई I बिना बैलों के वह खेती कैसे करता I वह रोते हुए जुगनू के पैरों में गिर पड़ा और बैल वापस करने के लिए विनती करने लगा I पर जुगनू टस से मस न हुआ और कुटिलता से हँसते हुए दीनू के बैल लेकर आराम से चल दिया I दीनू वहीँ पर अपना सर पकड़कर बैठ गया और फूट फूट कर रोने लगा I तभी वहाँ से एक महात्माजी गुजरे I उन्होंने जब दीनू को रोते देखा तो वे तुरंत उसके पास पहुंचे और बड़े ही प्यार से उसके सर पर हाथ फेरकर उससे रोने का कारण पूछने लगे I दीनू अपने ठगे जाने की बात रुंधे गले से बताते हुए महात्मा जी से कहा -” अब मैं इस गाँव में नहीं रहूँगा I मैं आज ही यह गाँव जुगनू के कारण छोड़ के चला जाऊँगा I ”

यह सुनकर माहत्मा जी मुस्कुराते हुए बोले-” किसी भी समस्या का हल भागना नहीं हैं, बल्कि वहीँ रहकर उसका निदान करने मैं हैं I ”

रुआंसा होता हुआ दीनू बोला -” पर जुगनू बहुत चालाक हैं I ”

यह सुनकर महात्मा जी बोले -” मैं तुम्हें जैसा कह रहा हूँ तुम बिलकुल वैसा ही करना I उसके बाद फिर कभी भी जुगनू किसी को तंग नहीं करेगा I ” और फिर महात्मा जी ने दीनू के कान में कुछ कहा जिसे सुनकर दीनू ख़ुशी के मारे उछल पड़ा I अगले ही दिन वह सुबह गाँव की पंचायत जा पहुंचा और बोल- ” मैं जुगनू के साथ शर्त लगाना चाहता हूँ I अगर मैं हार जाऊँगा तो हमेशा के लिए गाँव छोड़कर चला जाऊँगा I ”

इस पर एक पंच बोल -” और अगर जुगनू हार गया तो ….?” दीनू बोला -” तो उसे गाँव वालों का सारा सामान वापस करना होगा, जो उसने शर्त में जीता हैं और वो फिर कभी कोई शर्त नहीं लगाएगा I ”

यह सुनते ही पंचों के चेहरों पर मुस्कान आ गई क्योंकि जुगनू उन्हें भी शर्त में हराकर कई बार सामान ले चुका था I ”

दुसरे दिन सुबह जुगनू और दीनू पंचों के सामने आ गए I उन्हें देखने के लिए सारा गाँव अपना काम धंधा छोड़कर इकठ्ठा हो गया I उनमें से कई लोगो को दीनू के लिए बहुत दुःख हो रहा था I क्योंकि वे जानते थे कि सीधा साधा दीनू कभी भी चालाक जुगनू से जीत नहीं पायेगा और उसे गाँव छोड़कर जाना पड़ेगा I जब दीनू ने जुगनू को देखा तो कहा -” मेरे तीन सवाल हैं, अगर तुम मेरे तीन सवालों का जवाब दे दोगे, तो मैं यहाँ से चला जाऊँगा और………….उसकी बात पूरी होने से पहले ही जुगनू बोला -” हाँ – हाँ, मुझे वो सब पता हैं, तुम तो बस जल्दी से सवाल पूछो I ”

दीनू बोला -” क्या तुम पचास रोटियां खा सकते हो ?”

यह सुनते ही जुगनू जोर जोर से हंसने लगा और बोला -” मैं क्या कोई भी पचास रोटियां नहीं खा सकता हैं I ”

दीनू ने जवाब दिया -” मैं खा सकता हूँ, इसी वक़्त I ”

यह सुनकर सभी दीनू की तरफ अचरज भरी निगाहों से देखने लगे I तभी दीनू ने अपनी पोटली से चवन्नी की आकार की पचास छोटी छोटी रोटियां निकाली और अचार के साथ खा ली I गाँववाले अपना पेट पकड़-पकड़ कर हंसने लगे I पर जुगनू की आँखें गुस्से से लाल हो उठी I वह दहाड़ कर बोला -” दूसरा सवाल I ”

दीनू बोला -” हर रोज आदमी किसके सामने बेवकूफ़ बनता हैं ?”

यह सुनकर तो जुगनू का दिमाग चकरा गया I रोज क्या, वो तो आज तक कभी किसी के सामने बेवकूफ नहीं बना था I उसने पंचों की तरफ देखा पर वे भी आश्चर्य से दीनू की और देखे जा रहे थे I

जुगनू कुटिल मुस्कान के साथ बोला -” तुम्हीं बता दो क्योंकि मुझे नहीं लगता कि इसका कोई उत्तर हैं I

” दीनू मुस्कुराता हुआ बोला- ” हर आदमी रोज सबेरे आईने के सामने बेवकूफ़ बनता हैं क्योंकि वह केवल अपना चेहरा सुन्दर बनाने के लिए ढेर सारा क्रीम पावडर चेहरे पर लगाता है, पर कभी अपने मन में झांककर नहीं देखता I ”

वाह-वाह , कहते हुए सभी लोग खड़े होकर ख़ुशी के मारे ताली बजाने लगे I जुगनू का चेहरा दीनू को जीतते देखकर तमतमा उठा I उसने चिढ़कर पुछा – ” और तीसरा सवाल ?”

दीनू बोला -” एक बार मेरी आँख में कीड़ा चला गया था, तो मैंने उसे कैसे निकाला ?”

अब जुगनू का दिमाग फिर से चकरा गया और वो जमीन पर बैठकर बोला ” इस सवाल का उत्तर भी मुझे नहीं पता I ” यह सुनकर दीनू हँसता हुआ कहने लगा -“अरे, आँख में अँगुली डालकर और कैसे ? सभी गाँव वाले उसकी विद्वत्ता पर हैरान थे I उन्होंने ख़ुशी के मारे उसे अपने कन्धों पर बैठा लिया I और जुगनू शर्त के अनुसार अपने घर की ओर चल पड़ा, गाँव वालों का सामान और दीनू के बैल वापस लाने के लिए ………..

डॉ. मंजरी शुक्ल

One thought on “बालकहानी – तीन सवाल

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कहानी ! जैसे को तैसा !

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