कविता

मोंगरे के फूल पर है चाँदनी सोई हुई……..

मोंगरे के फूल पर है चाँदनी सोई हुई

न जगा चाँदनी को ये मुहोब्बत में है खोयी हुई

 

पूछना इस मोंगरे के फूल से जब सुबह होगी

क्या  राज़ था कि चाँदनी उसकी गोद में थी सोई हुई

 

तारे भी देख रहे हैं हैरत से कि चाँद को पूछें मामला क्या है

क्यों चाँदनी को जूनून है मुहोब्बत का सिर्फ़ मोंगरे के लिये

 

पूछा तारों ने चाँद से आँखें टिमटिमाते हुए

क्यों सोई है चाँदनी मोंगरे को आगोश में समेटे हुए

 

ऐ चाँद तेरी चाँदनी तो सब की मुहब्बत है

चकोरी को समझा जो रातभर थी टकटकी लगाए हुए

 

चांदनी ने यूँ कहा… मुहोब्बत करने का कोई राज़ नहीं होता

कमबख्त हो जाती है युहीं और मुझे इसका अंदाज़ नहीं होता

 

इबादत कर इबादत कर… मिला दे मेरी मुहब्बत जो है खोई हुई

पर आज नहीं …क्योंकि मोंगरे के फूल पर है चाँदनी सोई हुई

……..इंतज़ार

 

One thought on “मोंगरे के फूल पर है चाँदनी सोई हुई……..

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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