बाल कविता

कौआ बोला 

कौआ बोला कॉँव कॉँव
क्या में घर  के अंदर  आऊं ?
बोले पापा नहीं नहीं
जाओ किसी और की ठाँव

इधर उधर तुम फिरते हो
बस कॉँव कॉँव ही करते हो
जाओ जाकर कुछ काम करो
मत इतना आराम करो

गंदी गंदी चीज़ें सारी
तुमको लगती हैं प्यारी
चतुर  चालाक सयाने हो
तुम कब किसकी माने हो

— नमिता राकेश

2 thoughts on “कौआ बोला 

  • विजय कुमार सिंघल

    बेहतर बाल कविता !

  • अच्छी बाल कविता.

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