बाल कविता

कविता – “ चलो स्कूल ले जायें सबको ”

खुद भी जागें व जगाएं सबको ,

चलो स्कूल ले जायें सबको |

 

जिनका बचपन पड़ा है गलियों में ,

खुली हवा में घुमायें  सबको |

 

अनार अ से हुआ ,इमली होती है इ से

किताब देके पहला पाठ पढ़ायें सबको |

 

गरीब है जो पड़े रह गये मजबूरी में ,

पकड़ के हाथ उनका साथ बिठायें सबको |

 

ज्ञान विज्ञान पढ़ा कर के बना दें काबिल ,

देश की शान व इन्सान बनायें सबको |

 

———– अरविन्द कुमार साहू –——

 

अरविन्द कुमार साहू

सह-संपादक, जय विजय

2 thoughts on “कविता – “ चलो स्कूल ले जायें सबको ”

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत शानदार बाल कविता.

  • अच्छी कविता .

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