कविता

सोचो

एक स्थान है ,
उसका नाम है,
नाम है उसका,
धनगांई!!!!!!!!!

वहाँ गया था एकबार मैं,
समझ नहीं पाया कुछ मैं,
लगभग रहा वहाँ कुछ दिन मैं,
लापरवाही के आलावा नहीं कुछ देखा मैं,

सरकार से लेकर जनता तक,
समझ नहीं पाते कुछ ढंग।
चलता था वहाँ पर विद्यालय,
एक सेलेकर दश तक संग।

कक्ष की हालत जर्जर थी वहाँ,
तीन कक्ष थे मात्र वहाँ,
एक वरामदा दो रूम थे वहाँ,
बच्चे पढते कष्ट में वहाँ।

इतना ही नहीं वहाँ और क्या हो रहा था?
छ: से आठ की पढ़ाई कक्ष-१ में हो रहा था।
तिन से पांच की पढ़ाई कक्ष -२ में हो रहा था।
दो से तीन की पढ़ाई बरामदा में हो रहा था।

माध्यमिक विद्यालय हुअे दो साल हुआ था।
लेकिन नव दश का नमांकन नहीं हुआ था।
एक प्रभारी दूसरे पर टालमटोल करता था।
भविष्य, एक विद्यालय का यही था।

“सोचो” क्या होगा वहाँ का भविष्य,
बच्चे थे अपने में सब मग्न।
उन्हें क्या पता अपना भविष्य,
किसी का नहीं था उस पर ध्यान।

कैसे होगा,
क्या होगा,
नहीं होगा,
कल्याण !!

— रमेश कुमार सिंह

रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

जीवन वृत्त-: रमेश कुमार सिंह "रुद्र"  ✏पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।     पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक यादव एवं ईशान सिंह ✏वंश- यदुवंशी ✏जन्मतिथि- फरवरी 1985 ✏मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास-821108) ✏शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड. ✏ साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।      सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी) राष्ट्रीय सचिव - राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन मध्यप्रदेश,      प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं भारत भर के विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त। प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई सासाराम रोहतास ✏समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम बिहार ✏गृहपता- ग्राम-कान्हपुर,पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती,जनपद-कैमूर पिन कोड-821105 ✏राज्य- बिहार ✏मोबाइल - 9572289410 /9955999098 ✏ मेल आई- rameshpunam76@gmail.com                  rameshpoonam95@gmail.com ✏लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन। ✏प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं  साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित। ✏साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से। ✏ प्राप्त सम्मान विवरण -: भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से  125 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त। ✏ रूचि -- पढाने केसाथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।कविता,कहानी,हिन्दी गद्य लेखन इत्यादि। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आदरणीय मित्र मेरे अन्य वेबसाईट एवं लिंक--- www.rameshpoonam.wordpress.com http://yadgarpal.blogspot.in http://akankshaye.blogspot.in http://gadypadysangam.blogspot.in http://shabdanagari.in/Website/nawaunkur/Index https://jayvijay.co/author/rameshkumarsing ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपका सुझाव ,सलाह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

2 thoughts on “सोचो

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    भारत के भविष्य के लिए यह बहुत दुखद बात है. इस का अर्थ किया मैं यह समझूं कि १९५० में जो गाँवों का हाल हुआ करता था , अब भी वोही है ?

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया। सभी गाँवों के विद्यालयों का लगभग यही हाल है।

Comments are closed.