कविता

दोहे

१.
सटे-सटे से घर यहाँ, कटे-कटे से लोग।
त्रासदी ये शहरों की, लोग रहे हैं भोग॥
२.
धरा-गगन-पानी-हवा, ईश्‍वर के उपहार।
साँस-साँस में वो बसा, मत छीनो अधिकार॥
३.
ख्वाबों की ताबीर ये, छोटा-सा संसार।
महके फुलवारी सदा, चहकें ख़ुशियाँ द्‍वार॥
४.
नारी तुम संवेदना, ममतामयी अनूप।
रिमझिम बरखा नेह की, जीवन तपती धूप॥
५.
तू ही तू मुझमें रहे, ओ मेरे चितचोर।
बंधी नेह की डोर से, जिसका ओर न छोर॥
६.
खींच रहा है कौन ये, मुझे बिना ही डोर।
मन पंछी हो उड़ चला, बस तेरी ही ओर॥
७.
क्या दिल्ली क्या लखनऊ, शहर-गाँव-देहात।
करमजली के भाग में, उत्पीड़न-आघात॥
८.
शिला अहिल्या ही बनी, किया इंद्र ने पाप।
गौतम ने भी दे दिया, निष्‍पापी को शाप॥
९.
सोचा था आकाश में, ऊँची भरे उड़ान।
झपट लिया फिर बाज़ ने, चिड़िया लहूलुहान॥
१०.
चाहत में जीती रही, चाहत में दी जान।
दुनिया ने बस ये कहा, पगली थी नादान॥
११.
खुशबू तेरी बात की, सरहद से जब आय।
मन जो मेरा झील-सा, निर्झर-सा हो जाय॥

सुशीला शिवराण

परिचय : सुशीला शिवराण जन्म : २८ नवंबर १९६५ (झुंझुनू , राजस्थान) शिक्षा : बी.कॉम.,दिल्ली विश्व विद्याीलय, एम. ए. (अंग्रेज़ी) राजस्थान विश्वषविद्या लय, बी.एड., मुंबई विश्वाविद्याbलय । पेशा : अध्यापन। पिछले बाईस वर्षों से मुंबई, कोचीन, पिलानी,राजस्थान और दिल्ली में शिक्षण। वर्तमान समय में गुड़गाँव में शिक्षणरत। रुचि : हिन्दी साहित्य, कविता पठन और लेखन में विशेष रुचि। स्वरचित कविताएँ कई पत्र-पत्रिकाओं – हरियाणा साहित्य अकादमी की ‘हरिगंधा’, अभिव्यक्तिम–अनुभूति, नव्या, अपनी माटी, सिंपली जयपुर, कनाडा से निकलने वाली ‘हिंदी चेतना’, नेपाल से निकलने वाली ‘नेवा’ सृजनगाथा.कॉम, आखर कलश, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की बीकानेर की जागती जोत, हाइकु दर्पण, दैनिक जागरण और अमेरिका में प्रकाशित समाचार पत्र ‘यादें’ में प्रकाशित। हाइकु, ताँका और सेदोका संग्रहों में भी रचनाएँ प्रकाशित। हरेराम समीप जी द्वाररा संपादित दोहा कोश में दोहे प्रकाशित। नेपाल से निकलने वाली ‘शब्द संयोजन’ में कविताएँ नेपाली भाषा में अनूदित और प्रकाशित जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल एवं बीकानेर साहित्य एवं कला उत्सव में एक रचनाकार के रुप में काव्यपठ तथा वक्तरव्य। ऑल इंडिया रेडियो पर अनेक बार कविता पाठ, दूरदर्शन पर दोहा-गोष्ठीव में दोहों का वाचन २३ मई २०११ से ब्लॉगिंग में सक्रिय। मेरे चिट्ठेद (वीथी) का लिंक – www.sushilashivran.blogspot.in इसके अतिरिक्तn खेल और भ्रमण प्रिय। वॉलीबाल में दिल्ली राज्य और दिल्ली विश्वपविद्या लय का प्रतिनिधित्व।

One thought on “दोहे

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छे दोहे !

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