कविता

बसंत

 

बसंत आगमन
ऋतु परिवर्तन,
पीत पत्तों का रुदन
नव स्रष्टि का सृजन|
पशु पक्षियों का कलरव
मानव के मन मे हलचल
भोरों का बढ़ता गुंजन
उपवन मे बढ़ती थिरकन|
शिशिर ऋतु का हुआ अंत
नई फसलों का शुरू आगमन
घर घर मे उत्सव भारी
बसंत आगमन की तैयारी|
जीवन के प्रति करे उमंगित
बसंत आगमन करे तरंगित
जीवन मे रस भर देता
मन मे खुशियाँ भर देता|
नव स्रष्टि को अंकुरित करता
जीवन मे आशाएं भरता
उपवन मे पुष्पों को भरता
भोरों को गुंजन देता|
जीवन को गति देता
परिवर्तन का करता स्वागत
नव स्रष्टि का करता सृजन
बसंत आगमन-बसंत आगमन|

डॉ अ कीर्तिवर्धन