गीतिका/ग़ज़ल

गज़ल : वो लम्हा ठहर गया होगा

जब मिटा कर नगर गया होगा
क्या वो लम्हा ठहर गया होगा

आइने की उसे न थी आदत
खुद से मिलते ही डर गया होगा

वह जो बस जिस्म का सवाली था
उसका दामन तो भर गया होगा

अब न ढूंढो कि सुबह का भूला
शाम होते ही घर गया होगा

खिल उठी फिर से इक कली “श्रद्धा”
ज़ख़्म था दिल में, भर गया होगा

श्रद्धा जैन

उपनाम -श्रद्धा जन्म स्थान -विदिशा, मध्य प्रदेश, भारत कुछ प्रमुख कृतियाँ विविध कविता कोश सम्मान 2011 सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित कविता कोश टीम मे सचिव के रूप में शामिल आपका मूल नाम शिल्पा जैन है। जीवनी श्रद्धा जैन / परिचय

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