हाइकु/सेदोका

मेरे हाइकु

पीली सरसो
लट चमके श्वेत
बर्फ से ढकी
^^
रूपसी नारी
सताई जाती जग
सौंदर्य सजा
^^
बसंत ऋतु
कोहरे में लिपटा
बर्फ टुकड़ा
^^
जीवन माला
सांस मनके चले
तन नश्वर
^^
भीतर झाँको
बंद नयन कर
सुहानी झाँकी
^^
लोभ तनय
तनया मरवाई
पाप की हद
^^
स्वतंत्र देश
औरत पराधीन
स्व के घर में
^^
भ्रमर लोभी
रसपान सुमन
बगिया डोले
^^
दुआ के लिए
लोभ का संवरण
कदापि नही
^^
सश्क्त है नारी
वतन बलिहारी
व्यक्तित्व भारी

शान्ति पुरोहित

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

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