कुण्डलिया छंद
(1)
मंगलमय हो आपका, आया फिर नव वर्ष
अच्छे दिन आये तभी, जीवन में उत्कर्ष |
जीवन में उत्कर्ष, कर्म यदि अच्छे साधे
करे काम को पूर्ण, रहे न अधूरे आधे
लक्षमण साधे कर्म, करे नित होकर तन्मय
खुशिया मिले हजार, वर्ष हो शुभ मंगलमय ||
(2)
अवसर की सत्ता करे, संसद तक षड्यंत्र
संसद तो चलती नहीं, बाहर पड़ते मन्त्र |
बाहर पढ़ते मन्त्र, देश भक्तों का चोला
नहीं देश का ध्यान, भरे अपना ही झोला
लक्ष्मण करता अर्ज,सद्बुद्धि दे अब परवर
बढे देख की साख, भुनाएं अच्छे अवसर |
(3
सर्दी भीषण पड़ रही,थर थर काँपे गात
सर्द हवा चुभती घुसें, कैसे बीते रात |
कैसे बीते रात, सड़क किनारे सोते
निकले कैसे रात, बिलखतें बच्चें रोते
लक्ष्मण को ये कष्ट, हुआ समाज बेदर्दी
रेन बसेरा माय, रुके क्या भीषण सर्दी |
-लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
कुंडली छंद का बेहतर उपयोग किया है आपने.