राजनीति

जब कवियों की मर्यादा  लाँघ गए विस्वास

दिल्ली चुनाव की समय सिमा निर्धारित हो गई। एक तरफ कार्यकर्ताओं का हुजूम है तो कंही नेताओं का भी। नेता तो जनता को बहलाने फुसलाने में लगे हैं कि मान जाओ, हमारे देवता जित दिला दो, चुनाव् में भोग लगाउँगा दारू और पैसे का ।

‘कल दिल्ली में जो हुआ उससे दिल्ली में ही नहीं पुरे देश में चिता और मुद्दे बन उठा आम आदमी पार्टी जो नसीहत देने में कभी पीछे नहीं रहती। कल उन्ही के एक नेता ने कुमार विस्वास ने दिल्ली की पूर्व पुलिस कर्मी किरण बेदी पर तीखी टिप्पणी की और कहा कि किरण बेदी केजरीवाल के बेडरूम में सोएंगी। क्या जब कोई कवी ऐसी बात करे, तो भारत का दुभग्य निश्चित है.

आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनाव में आपने काम की गिनती गिना रही है। जनता को पर वह गिनती भी फेल होती नजर आ रही है। जनता का अरविन्द से प्रश्न है जब तुम्हे सरकार चलने को दी तो तुम ने 49 दिन में ही भाग क्यों खड़े हुए? अब दिल्ली की जनता तुम्हे क्यों वोट दे ? अगर फिर तुम दिल्ली की जानत को धोखा दिए तो? केजरीवाल का जवाब अभी तक नहीं आया।

दिल्ली की जनता अभी भी बेचैन है कि आखिर वोट दे तो किसे! बीजेपी को या आप को या कांग्रेस को? किसे वोट दिया जाए जो दिल्ली का भविष्य निश्चित कर सके? दिल्ली की डोर का दगम डोर किसे दिया जाए जो देश की राजधानी दिल्ली का नाम चेंज कर सके? जो आज बनी है रेपिस्ट दिल्ली कोई जो दिल्ली का भविष्य चेंज करे और दिल्ली सुधरे किसे दे डोर दिल्ली की? केजरीवाल या किरण बेदी या अजय माकन डोर का बेगम कौन बनेगा !

नेताओं की देश भक्ति और सक्ति पर उठते सवाल
जिसको अपनी माटी प्यारी
जिनको भारत प्यारा है
जिसने इनको अपना समझा
‘वो’ आंखों का तारा है
कुछ ‘टुच्चों’ के बक देने से
रिश्ते नहीं टुटा करते-
इसका जितना कण है मेरा
उससे अधिक तुम्हारा है ।।

 नागेश शुक्ला