कविता

रेत के पन्नों पर

 

रेत के पन्नों पर

एक गीत लिखने लगी है चांदनी

स्निग्ध किरणों का स्पर्श पा

हर नदी लगने लगी है ..मंदाकनी

बरगद की छाया तक ,चलकर आ गयी

देखने जगमगाते सितारों की ,.. छावनी

सफ़ेद लकीर सी उभर आयी है पगडंडियाँ

नजर नहीं आ रहा पर कोई भी आदमी

यह मौन का कौनसा मधुर राग है

जिसे छेड़  गयी हैं आज रागनी

घाटियों में

उतर आये हैं नर्म रुई से बादल

छूना मत उन्हें

कांच सा तुम कही दरक न जाओ

सम्मोहित कर लेती हैं उनकी सादगी

रेत के पन्नों पर

एक गीत लिखने लगी है चांदनी

किशोर कुमार खोरेन्द्र

 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “रेत के पन्नों पर

Comments are closed.