गीतिका/ग़ज़ल

तेरे पास तो….

 

तेरे पास तो मुहब्बत बेपनाह है मेरे लिए
तेरा सुन्दर चेहरा जैसे माह है मेरे लिए

इश्क़ कुर्बत नहीं है वह एहतिराम इबादत है
फासिले में रहूँ तुझे छूना गुनाह है मेरे लिए

कभी कोहरे सा कभी बादलों सा आ जाते हो
तेरी बेकरार सी परछाई हमराह है मेरे लिए

मुझे भोर तक तारे सा निहारते से लगते हो
मोतबर सी तेरी खूबसूरत निगाह है मेरे लिए

तेरे आते ही हर तरफ नूर सा पसर जाता है
तेरे बिना शबे माह भी सियाह है मेरे लिए

इब्दिता से तुझसे बेखबर नहीं रहा हूँ मैं कभी
जो अंजाम तक ले जाए तू वो प्रवाह है मेरे लिए

किशोर कुमार खोरेन्द्र

{बेपनाह = बेहिसाब ,माह =चाँद ,कुर्बत =निकटता ,
एहतिराम=आदर , इबादत=उपासना ,हमराह =रास्ते का साथी
शबे माह=chandni ,मोतबर=भरोसेमंद ,सियाह =काली ,
इब्दिता=आरंभ अंजाम =अंत}

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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