कविता

सपनो के यथार्थ ने

 

सपनो के यथार्थ ने

मुझसे पूछा –

क्या तुम मेरे पास ही रहोगे

मैंने कहा –

तुम्हें देखते देखते

मै स्वप्न बन गया हूँ

तुम्हारा मन

तुम्हारे शब्द बन गया हूँ

तुम पढ़ सकती हो मुझे

अपने सौन्दर्य की आत्मा कों

निहार सकती हो मुझमे

लेकीन मै तुम्हारी आत्मा की देह तक

पहुँच नही सकता

 

तुम्हारे ध्यान की रोशनी मुझे

आत्मसात नही कर सकती

क्योंकि प्रेम सतत वियोग  है

तभी तक जीवन की चेतना में

मै तुम्हें जीवित रख पाऊंगा

तुम्हें तलाश लेने के

पश्चात भी

तुम्हें खोये रहने की

मुझमे लगातार पीड़ा है

केवल मेरे पास

मेरी आँखे बंद हो

या खुली ………

हर परिस्थिति  में

तुम्हारे परछाई की साकार देह की

महक है मेरे पास

केवल ..महक

किशोर  कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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