पद्य साहित्यहाइकु/सेदोका

हाइकु

1

मिटती पीड़ा
मिलते स्नेही-स्पर्श
ओस उम्र सी ।

2

ईर्षा वाग्दण्ड
रिश्तो में डाले गांठ
टूटे धागा सी

3

उलझा रिश्ता
सुलझाये वागीश
ऊन लच्छा सा

4

स्नेह की थापी
बुझती वाड़वाग्नि
मृतवत्सा की।

5

स्वयं का बैरी
अति जल में लता
मनु दुर्मदी

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

2 thoughts on “हाइकु

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सुन्दर हाइकु .

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      शुभ प्रभात भाई जी ….. बहुत बहुत धन्यवाद आपका _/_

Comments are closed.