कविता

एक झीना सा आवरण

 

बिना किये तुम्हारा  दर्शन

सूनी लगती हैं धरती

सूना लगता हैं अंबर

माना की तुम मेरे लिये

सिर्फ एक ख्याल हो

वैसे भी जीवन भी तो हैं एक सपन

कितना भी चाहों

दूरी बनी ही रहती हैं

इस जग में नहीं हो पाता हैं

अदृश्य से साकार मिलन

बीच में रहता ही हैं

एक झीना सा आवरण

बहुत ठोस हुआ करता हैं

निज का दर्पण

पिघल कर कौन कर पाता हैं

प्रेम के वशीभूत

निराकार के समक्ष ..अपना समर्पण

किशोर कुमार खोरेन्द्र 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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