गीतिका/ग़ज़ल

तेरे मेरे पाक ….

 

तेरे मेरे पाक सम्बन्ध में कभी दरार न आये
गुल ही गुल बिछे हैं ,राह में कभी खार न आये

मन से मन का अटूट नाता होता है उल्फ़त में
दरम्याँ हमारे कभी जिस्म की दीवार न आये

मैं तो एक रोज पहुँच ही जाऊँगा रूबरू तुम तक
तब तक मेरे जुनूने इश्क में कभी करार न आये

अक्सर दिल से चाहने का कोई कारण नहीं होता
तेरी पूजा करता हूँ मन में कभी विकार न आये

एक ही खुदा के द्वारा बनाये हम सभी इंसान हैं
रंग जाति धर्म के भेदभाव के कभी विचार न आये

मेरे स्वभाव में शामिल नहीं है खरीदना और बेचना
जीवन के किसी भी मोड़ पर कभी बाज़ार न आये

तैरते हुए पहुँच गये हैं हम दोनों तो मंझधार तक
साथ देने जग के कभी नाव और पतवार न आये

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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