वेद पारायण व बहुकुण्डीय यज्ञों का औचित्य और प्रासंगिकता
आर्य जगत की पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से समय-समय पर ज्ञात होता है कि अमुक-अमुक स्थान पर बहुकुण्डीय यज्ञ हो रहा
Read Moreआर्य जगत की पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से समय-समय पर ज्ञात होता है कि अमुक-अमुक स्थान पर बहुकुण्डीय यज्ञ हो रहा
Read More‘बेजोड़ बांसुरी’ की धुन प्यारी,जन जन के मन को कर रही मोहित, हर कविता में बेजोड़ तथ्य है, हर कविता
Read Moreस्मरण तुम्हारा मुझे लगता है मधुर मेरे मनरूपी वृत्त का केंद्र बिंदु हो तुम तुम महा सागर हो तो मैं
Read Moreसमुद्र के पानी की इक बूँद , अशुद्ध पानी की इक खारी बूँद।, सूर्य की तपस सह कर , वाष्प
Read Moreमासूम दुधमुहाँ बचपन क्रेच और डे केयर की भेंट चढ़ा मासूम गुमसुम बचपन जिन नन्हे फूलों को खिलना पनपना चाहिए
Read Moreघर में झरोखे ,खिड़कियां निगरानी करते होंगें दरवाजे रोकते होंगें एक आदमकद आईने में उभर आया साया कफ़स में
Read More22. गंधर्व परिणय कामज्वर के बाद जब देवलदेवी की चेतना लौटी तब वह लाज से सिकुड़-सिकुड़ गई। अपने प्रिये के छूने
Read Moreमैं चाहता हूँ मेरी आखिरी साँस में राम नहीं सिर्फ़ तेरा ही नाम हो मेरे जेहन में सिर्फ़ तेरा ही
Read Moreपिता से देसी नहीं जर्सी गाय लेने को लड़ाई करके चार साल पहले महेश गाँव से भाग आया था |
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