न जाने क्यों….
न जाने क्यों तुम हरदम रहते बेजुबान से हो अब तक न सुनी न कही गयी दास्तान से हो अफ़सोस
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Read Moreरधिया तेरह साल की एक बहुत ही गरीब परिवार की लड़की थी , जब वह पांच साल की थी तो
Read Moreमित्रो, आप यह तो भली प्रकार जानते हैं की भारतीय समाज चार वर्णों पर आधारित रहा है। यह घोषणा की
Read Moreकम उमर में बाल आधे झड़ गये। ब्रश किया पर दाँत पीले पड़ गये। उनके घर की ओर जब निकले
Read Moreअध्याय-12 : बदलते रास्ते जो था मेरा हाले दिल वो बयां हुआ जुबां से। जो कहेंगे अश्के-रंगी वो अलग है
Read Moreतुम्हारी रगों में रक्त की तरह प्रवाहित होता रहता हूँ तुम्हारे मष्तिष्क में साये सा उपस्थित रहता हूँ मुझे
Read Moreपिता चले गए साथ अपने ले गए ज्यों सारी ऋतुएं खुशहाली ,तीज त्यौंहार छोड़ गए साए में अनमने उम्र काटते
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