कविता

होली है भाई होली है

बचपन मे रहता था इंतजार होली का
स्कूल से छुट्टी का
दोस्तो के साथ मौज-मस्ती का
स्वादिष्ट वयंजन खाने का
अपनी अपनी टोली बना कर
जाए घर घर ढ़ोल बजा कर
जो मिले रास्ते मे पिचकारियों से रंगने का
नाचते गाते और बोलते होली है भाई होली है
बुरा न मानो होली है

होली मनाने का अंदाज अलग जवानी मे
आये मजा मौके का फायदा उठाने मे
छोटी मोटी शरारत करने मे
जो अपने दिल की बात जुबां पर लाने में
हिम्मत न जुटा पाये आजतक
पी के के थोड़ी सी भंग
मिला बहाना बयां करने का रंगों के संग
चेहरों पर लगाये गुलाल लाल पीले नीले हरे
कोई चाहे या न चाहे
हो जाए कोई गुस्ताखी भले
तो भी कोई बुरा न माने
होली है भाई होली है
सभी खुशी से नाचे झूमे
अजब सा जोश दिखे हर गली-मोहल्ले मे
कोई शराब पी के झूमे
कोई झूमे सहेली के गालों पे रंग लगा के ऐसे
हासिल कर ली हो जीत वर्ल्ड कप के मैदान मे जैसे
दिल करे सबका ऐसी होली मनाने
का पी के भंग,
जैसी मनाई अमिताभ ने सिलसिला मे
रेखा के संग,
कौन छोटा कौन बड़ा सब झूमे मस्ती मे
कसर ना छोड़े लाज लज्जा लांघने मे
बुरा न माने कोई होली है भाई होली है

क्या ये ही है मकसद होली मनाने का
बिलकुल नहीं – आज है दिन –
एक दूसरे से हुई गलतियों और मतभेद मिटाने का
पुराने गिले-शिकवे भुलाने का
मिल कर एक दूसरे के गले होली की बधाई देने का
बजुर्गों से आशीर्वाद मांगने का
रंगों और हुड़दंग की होली
खेलने की रीत अब हुई पुरानी
लिखे नये दौर की नयी कहानी
आओ करे प्रतिज्ञा- खेले गे होली
प्रेम भाईचारे और सादगी की
बिन रंग शराब और भंग
जैसी एकता जोश उमंग
दिखे होली के त्योहार मे
लगा दो देश नव निर्माण मे
विकास और सफाई अभियान मे
छूट जाएंगे पीछे-
अमरीका रूस चीन को प्रगति की राह मे
देश फिर से कहलाये गा “सोने की चिड़ियाँ”
बहें की फिर से हर प्रदेश मे दूध की नदियां
तब अच्छा लगें का नारा
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा

नीलम अरविंद

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

One thought on “होली है भाई होली है

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता ! आपने होली मनाने का मर्म सही समझा है !

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