कविता

नारी शक्ति

मैं हूँ एक अजन्मी बाला

मानेंगे सब मुझे जन्म के बाद अबला

माँ, बहन, पत्नी मैं हुँ

वो दादी, नानी, चाची मैं हुँ।

वो कौशल्या के राम की सीता मैं हुँ

देवकी पुत्र, यशोदा नंदन की माँ मैं हुँ

वो प्रताप की जयवंता, शिवाजी की जीजाबाई मैं हुँ

अटल अहल्या, द्रोपदी, मंदोदरी मैं हुँ।

कस्तुर से भरी इंदिरा और सरोज़ हुँ मैं

अवकाश में राज़ करती सुनीता की कल्पना हुँ मैं

राष्ट्र को चलाने वाली प्रतिभा की माया हुँ मैं

फिर क्यूं ना कहुँ-

सीमा संभालने वाली विरल विमल हुँ मैं।

उषा में जो आशा है, उस लता के सुरों  में बसती

गीता की जो रेखा है, उस हेमा की सुंदरता से सजती

ज्वाला हुँ दीपिका, सानिया, सायना की

हूँ पँख मैं उस बिन पाँव उड़ने वाली अरुणिमा की !

कहते सब मुझको अक्ल है तेरी घुटनो में

बिना घुटने फिर भी एवरेस्ट करती मैं

देश के दामन को बचाने के बलिदान में

भारत माँ की भारती (दामिनी) हुँ मैं!

Mayur Jasvani

मयूर जसवानी

Nothing to say about me. Because I'm EMPTY. Whatever I'll say,you can't belive as far as you don't get profe, so its better to be Unknown and become Colse. Think About It & even you want to know about me then 1sf of all, "Keep EMPTY Your Self"

2 thoughts on “नारी शक्ति

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह बहुत सुंदर !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

Comments are closed.