ब्लॉग/परिचर्चा

बिहार के बच्चों का क्या होगा भविष्य ?

कहा जाता है कि कक्षा दस बच्चों के पढाई का पहला प्रमाण पत्र देता जिस प्रमाण पत्र पर कहीं किसी का कोई सक नहीं होता और कोई भी नौकरी चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी मिलने की शुरुआत होती है जिसके सहारे वे अपने भविष्य को सुन्दर बनाते हैं। आज हमारे प्रदेश बिहार की क्या स्थिति बन चुकी है,शायद ऐसा कहीं देखने को मिलता है।अब तो हमारे बिहार के बच्चों के साथ साथ पूरे राज्य का भविष्य ईश्वर के हाथ में है।
क्यों कि उधर बिहार के शिक्षा मंत्री हाथ खड़ा कर दिये और कह दिये कि कदाचार मुक्त परीक्षा मेरे बस की बात नहीं है इस प्रदेश का दुर्भाग्य कहें या फिर भाग्य, समझ नहीं पा रहा हूँ कि जिस प्रदेश के शिक्षा मंत्री बिना विचार किए ही धड़ल्ले से इस प्रकार अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हैं।तो वहाँ अच्छी शिक्षा की क्या उम्मीद लगाई जा सकती है यह बताने का जरूरत नहीं अनुमान लगाया जा सकता है।ये हुई सरकार की रवईया और प्रशासन की चुप्पी।
इधर माता -पिता या अभिभावक भी अपने बच्चों को क्या बनाना चाहते हैं कदाचार युक्त परीक्षा को बनाकर ,ये लोग भी अपने बच्चों को नकल दिखाकर प्रमाणपत्र दिलाना चा रहे हैं।खैर सरकार तो शिक्षा के मामले में गलती पर गलती करती जा रही है लेकिन साथ-साथ बच्चों के अभिभावक भी अपनी जिम्मेदारी को भूलते जा रहे हैं,और बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते जा रहे हैं।और उन्हें नकल देखकर पास होने के लिए सह दे रहे हैं।ये बच्चे क्या कर सकते हैं ,जहां की सरकार तो गलत रवईवा अपना रही है साथ ही अभिभावक भी गलत पद्धति अपने बच्चों के साथ निभा रहे हैं।उस प्रदेश के बच्चों का क्या हालत होगा ?भविष्य क्या होगा ? चिन्ताजनक विषय है।
ये मात्र अपना विचार है किसी पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं)
——————रमेश कुमार सिंह ♌
——————-२२-०३-२०१५

रमेश कुमार सिंह 'रुद्र'

जीवन वृत्त-: रमेश कुमार सिंह "रुद्र"  ✏पिता- श्री ज्ञानी सिंह, माता - श्रीमती सुघरा देवी।     पत्नि- पूनम देवी, पुत्र-पलक यादव एवं ईशान सिंह ✏वंश- यदुवंशी ✏जन्मतिथि- फरवरी 1985 ✏मुख्य पेशा - माध्यमिक शिक्षक ( हाईस्कूल बिहार सरकार वर्तमान में कार्यरत सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास-821108) ✏शिक्षा- एम. ए. अर्थशास्त्र एवं हिन्दी, बी. एड. ✏ साहित्य सेवा- साहित्य लेखन के लिए प्रेरित करना।      सह सम्पादक "साहित्य धरोहर" अवध मगध साहित्य मंच (हिन्दी) राष्ट्रीय सचिव - राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन मध्यप्रदेश,      प्रदेश प्रभारी(बिहार) - साहित्य सरोज पत्रिका एवं भारत भर के विभिन्न पत्रिकाओं, साहित्यक संस्थाओं में सदस्यता प्राप्त। प्रधानमंत्री - बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन इकाई सासाराम रोहतास ✏समाज सेवा - अध्यक्ष, शिक्षक न्याय मोर्चा संघ इकाई प्रखंड चेनारी जिला रोहतास सासाराम बिहार ✏गृहपता- ग्राम-कान्हपुर,पोस्ट- कर्मनाशा, थाना -दुर्गावती,जनपद-कैमूर पिन कोड-821105 ✏राज्य- बिहार ✏मोबाइल - 9572289410 /9955999098 ✏ मेल आई- rameshpunam76@gmail.com                  rameshpoonam95@gmail.com ✏लेखन मुख्य विधा- छन्दमुक्त एवं छन्दमय काव्य,नई कविता, हाइकु, गद्य लेखन। ✏प्रकाशित रचनाएँ- देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में एवं  साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित। लगभग 600 रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं तथा 50 साझा संग्रहों एवं तमाम साहित्यिक वेब पर रचनाये प्रकाशित। ✏साहित्य में पहला कदम- वैसे 2002 से ही, पूर्णरूप से दिसम्बर 2014 से। ✏ प्राप्त सम्मान विवरण -: भारत के विभिन्न साहित्यिक / सामाजिक संस्थाओं से  125 सम्मान/पुरस्कार प्राप्त। ✏ रूचि -- पढाने केसाथ- साथ लेखन क्षेत्र में भी है।जो बातें मेरे हृदय से गुजर कर मानसिक पटल से होते हुए पन्नों पर आकर ठहर जाती है। बस यही है मेरी लेखनी।कविता,कहानी,हिन्दी गद्य लेखन इत्यादि। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आदरणीय मित्र मेरे अन्य वेबसाईट एवं लिंक--- www.rameshpoonam.wordpress.com http://yadgarpal.blogspot.in http://akankshaye.blogspot.in http://gadypadysangam.blogspot.in http://shabdanagari.in/Website/nawaunkur/Index https://jayvijay.co/author/rameshkumarsing ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आपका सुझाव ,सलाह मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत है ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

6 thoughts on “बिहार के बच्चों का क्या होगा भविष्य ?

  • निवेदिता चतुर्वेदी

    अपने प्रदेश की छवि धूमिल हूइ है।पता नहीं कब ये सब चलता रहेगा।

  • जवाहर लाल सिंह

    इस प्रकार के चित्रों से बिहार की छवि धूमिल हुई है … सरकार और अभिभावक दोनों के लिए गलत सन्देश गया है

    • रमेश कुमार सिंह

      नमस्कार श्रीमान जी लेकिन सच्चाई यही है कबतक बनावटी बड़ाई अपने प्रदेश का करते रहेंगे।मैं समझ नहीं पा रहा हूँ।

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सही लिखा है आपने. अगर परीक्षा में इसी प्रकार भ्रष्टाचार होता रहा, तो देश भर का कोई वि.वि. और संस्थान बिहार के प्रमाणपत्रों को नहीं मानेगा. इसका नुक्सान मेधावी बिहारी छात्रों को होगा.

    • रमेश कुमार सिंह

      बहुत -बहुत धन्यवाद।आपका आभार!

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