कविता

अबला

हाय रे अबला तेरी यही कहानी,
कबतक ऐसी बनी रहेगी तेरी लाचारी,
कुछ तो करना ही होगा चाहे वो हो मनमानी,
चुप बैठने से नहीं होगा दूर ये कहानी।

आखिर सबकी आँखों में क्यों बसीं है नारी,
बन्द करो ये अपना सब नहीं तो पड़ेगा भारी,
ले ज्वाला की रूप यदि भड़क उठेगी नारी,
तब तो मिट जायेगा भ्रष्टाचार की सारी कहानी,
हाय रे अबला तेरी यही कहानी।।।।
——–निवेदिता चतुर्वेदी
———२०-०३-२०१५

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

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