उपन्यास अंश

उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 53)

48. देह विडंबना का पूर्ण प्रतिशोध

दो घड़ी रात गए द्वार पर कोलाहल सुन देवलदेवी वस्त्र संभालकर शय्या से उठ गई। देवलदेवी इस समय कक्ष में अकेली थी। कोलाहल सुनकर उनके मुख पर भय के स्थान हर्ष के चिह्न उभर आए। उन्होंने ताली का संकेत किया, आठ-दस सैनिकों ने कक्ष में प्रवेश किया साथ में अंधा शहजादा खिज्र खाँ। हाथ मोड़कर पीठ पर बाँधे गए, मुश्कें कसी हुई। सैनिक उसे धक्का मारते पीठ पर घूंसे बरसाते हुए कक्ष के मध्य तक लाए।

सभी सैनिकों ने एक साथ झुककर कहा, ”महारानी की जय हो।“

देवलदेवी बोली, ”आप सबका कल्याण हो।“

देवलदेवी की आवाज पहचानकर खिज्र खाँ बोला, ”बेगम आप यहाँ हैं! देखिए यह सैनिक क्या कर रहे हैं, कहते हैं सुल्ताने आला ने मेरे कत्ल का हुक्म दिया है। बचाइए बेगम, मुझे इनके कहर से बचाइए।“ खिज्र खाँ खौफ से चिल्लाते हुए बोला।

अट्टहास करके हँसते हुए देवलदेवी बोली, ”डरपोक खिज्र खाँ, तेरे वध की आज्ञा मेरे कहने से ही सुल्तान ने दी है। आज वह घड़ी आ गई जब मैं तुझसे अपने अपमान का प्रतिशोध पूरा करूँगी। कामुक, क्लीव, स्त्रैण शहजादे तूने बलात मेरा शील भंग किया था, आज उसका दंड तुझे मिलेगा।“

राजकुमारी की बात सुनकर शहजादा चीखकर जान बख्श देने की मिन्नतें करने लगा। उसी समय देवलदेवी बोली, ”जहीरा, इस शैतान का वध कर दो।“

जहीरा ‘जो आज्ञा महारानी’ कहकर आगे बढ़ा और तलवार के एक ही वार से प्राणों की भीख माँग रहे खिज्र खाँ का सिर काटकर फेंक दिया। शहजादे को चीखने का भी अवसर प्राप्त नहीं हुआ। कटा हुआ सिर राजकुमारी देवलदेवी के पैरों के पास जाकर गिरा, घृणा से देखते हुए उन्होंने उसे अपने पैर की एक ठोकर से दूसरी तरफ उछाल दिया।

तनिक देर बाद देवलदेवी बोली, ”जहीरा, शादी खाँ और अबू बक्र का क्या हुआ?“

”महारानी, वे दोनों भी संसार से रूखसत हो चुके हैं।“

जहीरा की बात सुनकर राजकुमारी देवलदेवी के चेहरे पर असीम तृप्ति के भाव उभरे।

सुधीर मौर्य

नाम - सुधीर मौर्य जन्म - ०१/११/१९७९, कानपुर माता - श्रीमती शकुंतला मौर्य पिता - स्व. श्री राम सेवक मौर्य पत्नी - श्रीमती शीलू मौर्य शिक्षा ------अभियांत्रिकी में डिप्लोमा, इतिहास और दर्शन में स्नातक, प्रबंधन में पोस्ट डिप्लोमा. सम्प्रति------इंजिनियर, और स्वतंत्र लेखन. कृतियाँ------- 1) एक गली कानपुर की (उपन्यास) 2) अमलतास के फूल (उपन्यास) 3) संकटा प्रसाद के किस्से (व्यंग्य उपन्यास) 4) देवलदेवी (ऐतहासिक उपन्यास) 5) मन्नत का तारा (उपन्यास) 6) माई लास्ट अफ़ेयर (उपन्यास) 7) वर्जित (उपन्यास) 8) अरीबा (उपन्यास) 9) स्वीट सिकस्टीन (उपन्यास) 10) पहला शूद्र (पौराणिक उपन्यास) 11) बलि का राज आये (पौराणिक उपन्यास) 12) रावण वध के बाद (पौराणिक उपन्यास) 13) मणिकपाला महासम्मत (आदिकालीन उपन्यास) 14) हम्मीर हठ (ऐतिहासिक उपन्यास ) 15) अधूरे पंख (कहानी संग्रह) 16) कर्ज और अन्य कहानियां (कहानी संग्रह) 17) ऐंजल जिया (कहानी संग्रह) 18) एक बेबाक लडकी (कहानी संग्रह) 19) हो न हो (काव्य संग्रह) 20) पाकिस्तान ट्रबुल्ड माईनरटीज (लेखिका - वींगस, सम्पादन - सुधीर मौर्य) पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशन - खुबसूरत अंदाज़, अभिनव प्रयास, सोच विचार, युग्वंशिका, कादम्बनी, बुद्ध्भूमि, अविराम,लोकसत्य, गांडीव, उत्कर्ष मेल, अविराम, जनहित इंडिया, शिवम्, अखिल विश्व पत्रिका, रुबरु दुनिया, विश्वगाथा, सत्य दर्शन, डिफेंडर, झेलम एक्सप्रेस, जय विजय, परिंदे, मृग मरीचिका, प्राची, मुक्ता, शोध दिशा, गृहशोभा आदि में. पुरस्कार - कहानी 'एक बेबाक लड़की की कहानी' के लिए प्रतिलिपि २०१६ कथा उत्सव सम्मान। संपर्क----------------ग्राम और पोस्ट-गंज जलालाबाद, जनपद-उन्नाव, पिन-२०९८६९, उत्तर प्रदेश ईमेल ---------------sudheermaurya1979@rediffmail.com blog --------------http://sudheer-maurya.blogspot.com 09619483963

One thought on “उपन्यास : देवल देवी (कड़ी 53)

  • विजय कुमार सिंघल

    देवल देवी और धर्म देव ने जिस प्रकार अपने साथ बलात्कार करने वालों से योजनाबद्ध तरीके से प्रतिशोध लिया, वह स्तुत्य है. इस कहानी का अधिक से अधिक प्रचार किया जाना चाहिए.

Comments are closed.