कविता : एक कतरा बादल का
बादल का नन्हा -सा कतरा हवाओं के संग फ़िज़ाओं का ले रंग बारिश की महक से गमकता सरकता वर्षा बूंदों
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Read Moreसुनो! तुम्हे लगता है न! स्त्री चार दीवारों के भीतर ज्यादा अच्छी लगती है,.. मुझे स्वीकार है तुम्हारी ये पसंद,..
Read Moreलज्जा है तुम्हारा घूँघट संकोच है तुम्हारा गहना मौन रह कर आता है तुम्हें प्यार भरी बातो को कहना
Read More||| शाम 6:30 ||| शाम गहरी हो रही थी। मायकल ने कहा, “अच्छा एक बात बताओ अगर तुम उस आदमी के दोस्त
Read Moreये थे मेरे एच.ए.एल. के कम्प्यूटर विभाग के संगी-साथी। विभाग के बाहर के भी अनेक सज्जनों से मेरा घनिष्ट परिचय
Read Moreछिटकी है चांदनी अम्बर में सितारों के नूर से भरी बह रही है एक और मंदाकनी बादलों की ओट
Read Moreकंस एक क्रूर अधिनायक था। पर साथ ही चतुर और धूर्त राजनीतिज्ञ भी था। मथुरा का वह राजा बन ही
Read Moreआज से लगभग पचास साल पहले हमारे गांवों में खेतों के बड़े बड़े प्लॉट होते थे. कोई भी प्लॉट एक
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