ग़ज़ल
वो मिरे सीने से आख़िर आ लगा मर न जाऊं मैं कहीं ऐसा लगा रेत माज़ी की मेरी आँखों में
Read Moreसच तुम्हारे एक चुटकी सिंदूर ने कैद कर लिया मुझे हॄदय में नथ दिया नथनियों में पहना कर चुडियों की
Read Moreहर गुनाह के जाने ही कितने पहलू और पक्षकार होते हैं लेकिन दिन के उजाले में कुछ ही पहलू और
Read Moreमेरी पहली हवाई यात्रा 26 अगस्त 1989 (शनिवार) मैंने अपने साथी अधिकारी श्री राकेश क्वात्रा के साथ जाकर वाराणसी से
Read Moreपाकर साथ तुम्हारा, हम बहकने लगे हैं, कि बनके खुशबू हवाओ में, महकने लगे हैं ! प्यार हद से हमारा
Read Moreजीने की लत जो हमने है पाली आज वही मारे जाती है॥ जीने की लत……….॥ जीता हूँ दिल पर बोझ
Read Moreआज भारत का सेमीफाइनल हारना कुछ ऐसी ही अनुभूति पैदा कर रहा है जैसी, इम्तहान में कोई पर्चा खराब हो
Read Moreआज फिर रतनलालजी परेशान हो गये। बोले, “मुझे भी क्रिकेटर बनना है।” मैने समझाया भाई हम जैसै कामकाजियों के पास
Read Moreअपार ब्रह्माण्ड का एक छोटा सा ग्रह यह पृथिवी लोक सर्वत्र मुनष्यों एवं अन्य प्राणियों से भरा हुआ है। मनुष्य
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