जीवन के गीतों के
जीवन के गीतो के आरोह और अवरोहों में मेरा समर्पण पकड़ चल रही सांसों की सरगम निरन्तर सुन्दर तुम्हारे मन्द्र
Read Moreजीवन के गीतो के आरोह और अवरोहों में मेरा समर्पण पकड़ चल रही सांसों की सरगम निरन्तर सुन्दर तुम्हारे मन्द्र
Read Moreआज भी याद है, उसकी हँसीं, मुस्कुराहट अधरों से निकले, वो लब्ज जब, हृदयंगम, होते हैं। तो मैं खो जाता
Read More46. अंतिम परियोजना हसन, जिसे सुल्तान मुबारक शाह खिलजी ने खुशरव शाह का खिताब अता किया था, उसके वक्ष से लिपटी
Read Moreकवि तुम बन जाना हमदम, मैं कविता बन जाऊँगी!! सागर तुम बन जाना हमदम, मैं सरिता बन जाऊँगी!! दीपक तुम
Read Moreएक बात मुझ में ऐसी रही है कि दादा जी, मेरी माँ या बड़े भाई जो भी कहें मैंने कभी इंकार
Read Moreमुझे याद है हम फिल्म “क्वीन” देखकर लौट रहे थे, सभी अपनी अपनी बाइक पर थे! दो दो के ग्रुप
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