गीत/नवगीत

गीत : मन बावरा रे…

मन बावरा मेरा बावरा मन बावरा रे ।
मन माने ना माने ना मेरा बावरा रे ।।

मन की बातें मन ही जाने ,
बात किसी की एक न माने ,
प्रीत जोड़ के मनमोहन से ,
ऊँच नीच कुछ ना पहचाने ,
मन का नहीं जाने दर्द मेरा साँवरा रे ।
मन माने ना ……..(1)

आवन की कह गये न आये ,
निर्मोही की याद सताये ,
बाट निहारत अँखियाँ हारीं ,
पल भर को भी चैन न पाये ,
चुरा के निंदिया लेगये ढाई आँखरा रे ।
मन माने ना ……(2)

अंतिम अंतरा …..
कुंज गलिन में खोजत हारी ,
भूल गई मैं सुध बुध सारी ,
ढूँढूँ छिपा कहाँ साँवरिया ,
गोपिन संग मिला बनवारी ,
नाचे मोहे मन को प्यारा नट नागरा रे ।
मन माने ना…….(3)

लता यादव

लता यादव

अपने बारे में बताने लायक एसा कुछ भी नहीं । मध्यम वर्गीय परिवार में जनमी, बड़ी संतान, आकांक्षाओ का केंद्र बिन्दु । माता-पिता के दुर्घटना ग्रस्त होने के कारण उपचार, गृहकार्य एवं अपनी व दो भाइयों वएकबहन की पढ़ाई । बूढ़े दादाजी हम सबके रखवाले थे माता पिता दादाजी स्वयं काफी पढ़े लिखे थे, अतः घरमें पढ़़ाई का वातावरण था । मैंने विषम परिस्थितियों के बीच M.A.,B.Sc,L.T.किया लेखन का शौक पूरा न हो सका अब पति के देहावसान के बाद पुनः लिखना प्रारम्भ किया है । बस यही मेरी कहानी है

One thought on “गीत : मन बावरा रे…

  • सुन्दर विचार.

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