भाषा-साहित्य

डॉ भवानी लाल भारतीय जी की साहित्य साधना

आर्यसमाज के इतिहास में डॉ भवानी लाल भारतीय जी ने अपनी लेखनी अपनी प्रतिभा के दम पर अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। भारतीय जी द्वारा 50 वर्षों से अधिक के लेखन काल में आर्यसमाज की अनेक पत्रिकाओं में सैकड़ों लेख, 150 के करीब छोटी बड़ी पुस्तकों आदि का संपादन वह लेखन किया गया जिससे सम्पूर्ण आर्यजगत् परिचित है। अपनी शोधपूर्ण शैली, सकारात्मक चिंतन, अनुसन्धान प्रकृति, ऋषि भक्ति के चलते भारतीय जी की लेखनी ने मुझ जैसे हज़ारों युवकों का मार्गदर्शन किया जिसके लिए हम सब उनके आभारी है। स्वामी दयानंद के जीवन, चिंतन, विचारों पर मौलिक लेखन कर भारतीय जी स्वामी जी के जीवनी लेखकों आर्य पथिक पंडित लेखराम, देवतुल्य देवेन्द्रनाथ मुखोपाध्याय आदि लेखकों के अनुगामी बने। इसका श्रेय भी भारतीय जी को जाता है। स्वभाव से भी भारतीय जी सरल, सहृदय, आलोचना, अनुशंसा से मुक्त व्यक्तित्व हैं। आर्यसमाज में श्राद्ध जीवित व्यक्ति की सेवा शुश्रुता को माना जाता है। एक लेखक के लिए उनकी कृति उनकी सबसे बड़ी पूंजी होती है। ऐसे में भारतीय जी द्वारा अपने जीवन में विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लिखित करीब 500 लेखों को संग्रह कर उन्हें प्रकाशित कर करने का विचार है। यह प्रयास भारतीय जी का वैदिक श्राद्ध एवं तर्पण होग। यह विज्ञप्ति इसी उद्देश्य से प्रकाशित की जा रही हैं की भारतीय जी के भगत, प्रशंसक एवं शिष्य उनके विचारों को उनके चिंतन को चिरस्थायी बनाने में भागीदार बनेगे। इस कार्य में करीब एक लाख रुपये खर्च होने की सम्भावना है। दानदाता इस महान यज्ञ में अपनी आहुति अवश्य देंगे यही हमारा विचार है। इस कार्य में रूचि दिखाने वाले सज्जन मुझसे चर्चा कर सकते है।

डॉ विवेक आर्य, दिल्ली

One thought on “डॉ भवानी लाल भारतीय जी की साहित्य साधना

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी जानकारी ! डॉ भारतीय के साहित्य का संरक्षण होना ही चाहिए।

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