कविता

रिश्ते

रिश्तों के बिना अधूरा है जीवन
जीवन के बिना अधूरे है रिश्ते
हर एक साँस में मोती से जड़े होते है रिश्ते
कुछ सच्चे मोती तो कुछ खोटे होते है मोती
कुछ तो अंतिम साँस तक साथ निभा चले जाते है
कुछ द्वेष का ताना बाना बुन साथ निभाते है
क्यों सच्चे मोती से रिश्तों को नज़र अंदाज़ कर
खोटे मोती से रिश्तों को अहमियत दिए जाते है ।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

2 thoughts on “रिश्ते

  • गुंजन जी , विचार अछे लगे . सारी जिंदगी इन रिश्तों में गुज़ार दी , आखिर पता चला कि यह रिश्ते झूठे हैं . कभी रिश्ते बने , फिर टूट गए , टूट कर फिर बने , बस इस सब में ही जिंदगी गुज़र गई . अब पता चला कि यह दुनीआं सिर्फ मोह माया का जाल ही है .

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! बढ़िया !!

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