गीत/नवगीत

दोहागीत – मतलब का है प्यार

दोहागीत

मतलब की है दोस्ती, मतलब का है प्यार।
मतलब के ही वास्ते, होती है मनुहार।।

दुनियाभर में प्यार की, बड़ी अनोखी रीत।
गैरों को अपना करे, ऐसी होती प्रीत।।
उपवन सींचो प्यार से, मुस्कायेंगे फूल।
पौधों को भी चाहिए, नेह-नीर अनुकूल।।
छोटे से इस शब्द की, महिमा अपरम्पार।
मतलब के ही वास्ते, होती है मनुहार।१।

छोटी सी है ज़िन्दग़ी, काहे को अभिमान।
तन नश्वर है सभी का, होना है अवसान।।
दिल से निकले भाव ही, देते हैं उल्लास।
जीवन को करते सरस, हास और उपहास।।
सावन में अच्छे लगें, छींटे औ’ बौछार।
मतलब के ही वास्ते, होती है मनुहार।२।

साथ-साथ चलते सदा, आँसू औ’ मुस्कान।
दोनों ही हालात में, उर से उपजे गान।।
ढाई आखर में छिपा, दुनियाभर का मर्म।
प्यार हमारा कर्म है, प्यार हमारा धर्म।।
प्यार नहीं है वासना, ये तो है उपहार।।
मतलब के ही वास्ते, होती है मनुहार।३।

जीव-जन्तु भी जानते, क्या होता है प्यार।
आ जाते हैं पास में, सुनकर मधुर पुकार।।
प्यार-प्रीत की राह में, आया है व्यापार।
महकेगा कैसे भला, उपवन का श्रृंगार।।
ढली “रूप” की धूप तो, बदल गया संसार।
मतलब के ही वास्ते, होती है मनुहार।४।

 डॉ. रूपचन्द शास्त्री ‘मयंक’

*डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

एम.ए.(हिन्दी-संस्कृत)। सदस्य - अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,उत्तराखंड सरकार, सन् 2005 से 2008 तक। सन् 1996 से 2004 तक लगातार उच्चारण पत्रिका का सम्पादन। 2011 में "सुख का सूरज", "धरा के रंग", "हँसता गाता बचपन" और "नन्हें सुमन" के नाम से मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। "सम्मान" पाने का तो सौभाग्य ही नहीं मिला। क्योंकि अब तक दूसरों को ही सम्मानित करने में संलग्न हूँ। सम्प्रति इस वर्ष मुझे हिन्दी साहित्य निकेतन परिकल्पना के द्वारा 2010 के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार के रूप में हिन्दी दिवस नई दिल्ली में उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमन्त्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सम्मानित किया गया है▬ सम्प्रति-अप्रैल 2016 में मेरी दोहावली की दो पुस्तकें "खिली रूप की धूप" और "कदम-कदम पर घास" भी प्रकाशित हुई हैं। -- मेरे बारे में अधिक जानकारी इस लिंक पर भी उपलब्ध है- http://taau.taau.in/2009/06/blog-post_04.html प्रति वर्ष 4 फरवरी को मेरा जन्म-दिन आता है

3 thoughts on “दोहागीत – मतलब का है प्यार

  • बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी …बेह्तरीन अभिव्यक्ति

    प्यार रामा में है प्यारा अल्लाह लगे ,प्यार के सूर तुलसी ने किस्से लिखे
    प्यार बिन जीना दुनिया में बेकार है ,प्यार बिन सूना सारा ये संसार है

    प्यार पाने को दुनिया में तरसे सभी, प्यार पाकर के हर्षित हुए हैं सभी
    प्यार से मिट गए सारे शिकबे गले ,प्यारी बातों पर हमको ऐतबार है

    प्यार के गीत जब गुनगुनाओगे तुम ,उस पल खार से प्यार पाओगे तुम
    प्यार दौलत से मिलता नहीं है कभी ,प्यार पर हर किसी का अधिकार है

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुन्दर और मधुर गीत !

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