कवितापद्य साहित्यमुक्तक/दोहा

आज की नारी…(तेजाब से दंशित)

मैं जली नहीं जलाई गई,
तेजाब से…
बड़ी हैवानियत से मासूमियत पर फेंकी गई कुछ बूंदे…
मैं भी पहले सुंदर थी,
चेहरे से..
पर दिल से तो अब भी हूं…
कोई तो दिल की सुंदरता को देख डर जाता है,
मैं भी कभी-कभी…
सहम जाती हूं,
मर जाती हूं,
अपने आप में…
करीबी दूर हो गए एक झटके में…
मेरी तो कोई गलती नहीं थी,
मैं इनकार नहीं कर सकती क्या?
कर दिया तो चेहरा ही फूंक दिया…!
अपने अस्तित्व को ढूंढती हूं मैं,
आज की नारी,
भद्दे चेहरे के साथ..
सुंदर हृदय के साथ..
तेजाब से जली हुई नारी हूं…!!

एस.एन.’प्रजापति’

सूर्यनारायण प्रजापति

जन्म- २ अगस्त, १९९३ पता- तिलक नगर, नावां शहर, जिला- नागौर(राजस्थान) शिक्षा- बी.ए., बीएसटीसी. स्वर्गीय पिता की लेखन कला से प्रेरित होकर स्वयं की भी लेखन में रुचि जागृत हुई. कविताएं, लघुकथाएं व संकलन में रुचि बाल्यकाल से ही है. पुस्तक भी विचारणीय है,परंतु उचित मार्गदर्शन का अभाव है..! रामधारी सिंह 'दिनकर' की 'रश्मिरथी' नामक अमूल्य कृति से अति प्रभावित है..!

4 thoughts on “आज की नारी…(तेजाब से दंशित)

  • विजय कुमार सिंघल

    आपने तेज़ाब-पीड़ित महिलाओं की व्यथा का अच्छा चित्रण किया है.

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      धन्यवाद बड़े भाई!

    • सूर्यनारायण प्रजापति

      जी..!

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