कवितापद्य साहित्य

तुम मेरे हो मेरे ही रहोगे!

तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे।
हमें छोड़ कर आखिर कहाँ जाओगे।
मैं आश लगाये बैठीं हूँ,
कब मेरे सपने पुरा करोगे।
तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे।

हमें ये भी पता है,तुम पुरा करेंगे।
पर कुछ परेशानियां तो दोगे ही।
परेशानियां ही सही पर पुरा तो करोगे।
तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे।

हमे तुम पर पुरा यकीन भी है।
कि तुम मेरा साथ कभी नहीं छोड़ोगे।
यदि छोड़ भी दिया तो क्या?
बुलाने पर तो आओगे।
तुम मेरे हो और मेरे ही रहोगे।
——निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४

4 thoughts on “तुम मेरे हो मेरे ही रहोगे!

  • विजय कुमार सिंघल

    निःसंदेह ! बहुत अच्छा गीत !!

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad sriman ji

    • निवेदिता चतुर्वेदी

      dhanybad sir

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