कविता

कुछ दोहे लिखने का प्रयास

dohaआसमान को देखकर , बेटी भरे उड़ान
माँ के दिल में हो रही , आशंका बलवान ।।

रिझा रहा हिय भ्रमर का , चटक कली श्रृंगार
इत उत डोलत फिरत है , सुनत प्रेम मनुहार ।।

डाल-डाल है सज रही , कर सोलह श्रृंगार
पुहुप जाए लजियात है , देख मधुप का प्यार ।।

 बहका गयी है बयार , महका तन और मन
आई पिया के देश से, तृप्त हुआ अंतर्मन ।।

 बैठ धूप मुंडेर पर , राह देखती छाँव ।
फैशन के इस दौर में , शहरी हो गए गाँव ।।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

3 thoughts on “कुछ दोहे लिखने का प्रयास

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    vaahhhhhhhh

  • achhe lage yah dohe .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे दोहे !

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