सामाजिक

नैतिक शिक्षा… अनिवार्य

रंग रूप सब कुदरत की देन होती है

इसमे हम सब का कोई हाथ नही होता , हाँ आजकल कई तरह के आपरेशन होने लग पड़े है ज्यादा सुंदर दिखने के लिये

लेकिन ये सब चीज़े वो ही लोग कर पाते हैं जिनके पास पैसा है लेकिन जिनके पास पैसा नही और कुदरत ने उन्हे शक्ल भी अच्छी न दी हो तो क्या उनकी खिल्ली उड़ानी चाहिये

जब मैं छोटी थी तो हमे एक किताब पढ़ाई जाती थी जिसमें हमें नैतिकता का सबक सिखाया जाता था

शायद उन्ही बातो और संस्कारो के कारण मैं इन बातो पर हँस नही पाती, किसी को मना करो तो वो भी बुरा मानता है

कि हम तो सिर्फ मज़ाक कर रहे थे……..

लेकिन ऐसा मज़ाक मेरे मन को कहीं अंदर तक मथ जाता है , मैं अकारण ही सोचने लगती हूँ कि अगर मैं ऐसी होती तो मेरा भी

यूँ ही मज़ाक बनता…

काश नैतिकता की शिक्षा फिर से शुरू हो जाये और घर में भी बच्चो को किसी का मज़ाक उड़ाना नही उससे सहानुभूति करनी

सिखायी जाये…. तो धीरे धीरे ही सही संस्कार फिर से जागेंगे ओर अपराधो में भी कमी आयेगी

क्योकि ये भटके हुये लोग सिर्फ शारीरिक सुंदरता की ओर लपकते हैं… इन लोगो में भावनाओ का कतई अभाव होता है….

….रमा शर्मा

रमा शर्मा

लेखिका, अध्यापिका, कुकिंग टीचर, तीन कविता संग्रह और एक सांझा लघू कथा संग्रह आ चुके है तीन कविता संग्रहो की संपादिका तीन पत्रिकाओ की प्रवासी संपादिका कविता, लेख , कहानी छपते रहते हैं सह संपादक 'जय विजय'

2 thoughts on “नैतिक शिक्षा… अनिवार्य

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छा लेख. लेकिन लोगों की मानसिकता को बदलना कठिन है.

    • आप सही कहते हैं विजय जी , लेकिन चुप भी नही रहा जाता,
      आभार

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