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विज्ञान के अध्यापक वरुण कुमार का आँखे खोलने वाला एक पत्र

माननीय जोगा सिंह जी,

मैं लुधियाना के एक सरकारी स्कूल में बच्चों को भौतिक विज्ञान पढ़ाता हूँ और अपने कोचिंग सेंटर में एम.एस.सी. गणित के बच्चों को पढाता हूँ| मेरे पास जो बच्चे पढ़ रहे हैं वे सरकारी स्कूलों से ही आए होते हैं और अंग्रेजी कम आने की वजह से अपने आप को नालायक समझने लग जाते थे ।

पर मैने आपका लेक्चर कुछ साल पहले पखोवाल गाँव के स्कूल पहुँच कर लगाया था और उस दिन से मेरा पढ़ाने का तरीका बदल गया| मैं बच्चों को बताता हूँ कि अंग्रेजी कोई विद्वान होने का अकेला साधन नहीं, बल्कि इसके बिना भी दुनिया के हर विज्ञान को सीखा जा सकता है| मेरे बच्चे पंजाबी में भौतिक विज्ञान के किसी भी विषय पर बहुत कुछ बता सकते हैं और मुझे ख़ुशी है कि मैं बढ़िया विज्ञानी और बढ़िया डाक्टर बना रहा हूँ। अंग्रेजी की दौड़ में लगे हुए इंसान नहीं होंगे मेरे विद्यार्थी !

मैं टोपोलोजी और फील्ड थ्योरी भी पंजाबी में पढाता हूँ और आपको जानकर ख़ुशी होगी कि मेरे ही एम.एस.सी. के विद्यार्थी २०१२, २०१३ और २०१४ में लगातार, पंजाब यूनिवर्सिटी के टॉपर रहे हैं, क्योंकि टोपोलोजी को पंजाबी में पढने वाले बच्चे ही इसे समझ पाते हैं| जोगा जी, मैंने कान्वेंट के बच्चों को भी भौतिक विज्ञान पढ़ाया है। सच, एसा बुरा हाल मैंने कभी नहीं देखा बच्चों का। उन्हें भौतिक विज्ञान तो क्या आना।
अंग्रेजी माध्यम वालों को अंग्रेजी भी हम से अच्छी नहीं आती, जब कि मैं खुद दसवीं तक पंजाबी माध्यम में ही पढ़ा था। मैं आप
की इस लड़ाई में आप का सच्चा साथी बनूँगा| मैं अपनी जिन्दगी पंजाबी में हर एक विज्ञान को पढ़ाने और समझाने के लिए ही लगाऊँगा |

छोटे-छोटे बच्चों को जब अंग्रेजी माध्यम स्कूल की बस में जाता देखता हूँ तो मेरी आत्मा कांपने लगती है| मुझे यह तो एहसास था कि
कुछ गलत हो रहा है पर मुझे सही दिशा आप के उस लेक्चर से मिली थी जब मैंने पखोवाल गाँव के एक स्कूल में आप को सुना था| उस दिन को मैं कभी नहीं भूल सकता| उसी दिन मेरे अध्यापन को एक नई दिशा और एक नया मकसद मिला था| आप अपने मकसद में जरूर कामयाब होंगे जोगा जी, क्योंकि आप मनुष्य को मनुष्य होना सिखा रहे हो| उसे उसकी मात्री भाषा देकर उसे अनाथ की तरह जीने से बचा रहे हो ।यह कान्वेंट और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के बच्चों के साथ भीमेरी भावनाएं जुड़ी है जोगा जी, कि इन बच्चों को बचा लें हम ।

आपका
वरुण कुमार

सौजन्य से:-

प्रो. जोगा सिंह, पूर्व प्रमुख, भाषा विज्ञान विभाग, पंजाबी वि.वि. पटियाला.

 

2 thoughts on “विज्ञान के अध्यापक वरुण कुमार का आँखे खोलने वाला एक पत्र

  • विजय कुमार सिंघल

    इस पत्र का प्रत्येक शब्द आँखें खोलने वाला है. विज्ञान की पढाई जितनी अच्छी अपनी मातृभाषा में की जा सकती है, उतनी किसी विदेशी भाषा में कदापि नहीं. वास्तव में सभी विषयों की पढ़ाई अनिवार्य रूप से अपनी भाषा में ही होनी चाहिए.

  • छोटे-छोटे बच्चों को जब अंग्रेजी माध्यम स्कूल की बस में जाता देखता हूँ तो मेरी आत्मा कांपने लगती है|..like

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