सामाजिक

हिन्दू हैं मुसलमानों की सुरक्षा की गारंटी

नेशनल कमीशन फॉर माइनारिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन जस्टिस एज़ाज़ सिद्दिकी ने कल, रविवार (१९.०४.२०१५) को आगरा के ग्रांड होटल में बज़्म-ए-मैकश अवार्ड वितरण समारोह में बोलते हुए बिना किसी भय के स्पष्ट शब्दों में कहा कि अल्लाह के बाद हिन्दुस्तान में मुसलमानों के लिए सुरक्षा की कोई गारंटी है, तो वह हिन्दू समाज है। उन्होंने कहा कि भारत के हिन्दू और मुसलमानों का जीन्स और डीएनए एक है, यह विज्ञान भी प्रमाणित कर चुका है। दोनों के खानपान, पहनावा, पारिवारिक परंपराएं, जीवन मूल्य और आरज़ू भी एक है। हिन्दू और मुसलमान इत्तिहाद यानी दोनों का मेल देश की खुशहाली के लिए जरुरी है। कुछ लोगों ने दोनों कौमों के बीच दीवारें खड़ी कर दी हैं। मुसलमानों को जजीरे (टापू) की तरह बना दिया है। तन्हा बहने की आदत मुसलमान खत्म कर दें, क्योंकि दरिया में बहना है तो बूंद तन्हा नहीं बह सकती। उन्होंने और स्पष्ट करते हुए कहा कि हिन्दुओं से संवाद की जरुरत है। हमें उनके त्योहारों में, सुख-दुःख में शरीक होना चाहिए। हिन्दू स्वभाव से एक सेकुलर कौम है। अगर यह कौम सेकुलर नहीं होती तो मुल्क में इतने मज़हब और इतनी नस्लों के लोग भी न होते। उन्होंने आगे कहा कि मुसलमान फ़साद या जनाजे में तुरन्त एक हो जाते हैं लेकिन उसके बाद फिर अपनी-अपनी डफली बजाने लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके कैरियर में मुसलमानों ने कोई मदद नहीं की बल्कि हिन्दू भाई ही मददगार बने।

आज के ही अखबार में प्रख्यात बंगला लेखिका तस्लीमा नसरीन का एक लेख पढ़ने का भी मौका मिला। उन्होंने बांग्ला देश में जीवन भर अन्धविश्वास के खिलाफ़ मुहिम चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता अभिजीत की फूटपाथ पर सरेआम हत्या पर दुःख जताते हुए कहा है कि अगर बांग्ला देश के बुद्धिजीवी शुरु से ही मज़हबी उन्माद का विरोध करते तो आज कट्टरवादी सरेआम लोगों की हत्या नहीं करते। अच्छा है कि वहां की सरकार ने मुझे देश में घुसने की इज़ाज़त नहीं दी, वरना मेरा हश्र भी अभिजीत जैसा होता। जबतक धर्मान्धता, कट्टरवाद, अन्धविश्वास, नारी-विद्वेष और हर प्रकार की विषमता को खत्म करके मुक्तचिन्ता. वैज्ञानिक सोच और समानता की स्थापना नहीं होगी, तबतक पाकिस्तान और बांग्ला देश का समाज इसी तरह अपनी मौत मरता रहेगा। जो यमन, सीरिया, इराक आदि अरब देशों में आज हो रहा है, कल पाकिस्तान और बांग्ला देश में भी होगा।

तस्लीमा नसरीन ने अपने लेख में भारत का नाम नहीं लिया है लेकिन कमोबेश मुस्लिम समुदाय की मानसिकता यहां भी पाकिस्तान और बांग्ला देश की तरह बनती जा रही है। समझ में नहीं आता कि इस देश का मुस्लिम समाज आज भी कबीर, रहीम, बहादुर शाह जफ़र, मौलाना अब्दुल कलाम, मुहम्मद करीम छागला, ए.पी.जे. कलाम, एज़ाज़ सिद्दिकी आदि मुस्लिम बुद्धिजीवियों की सार्थक बातों को तवज्जू न देकर गिलानी, मसर्रत, अफ़ज़ल, ओवैसी को अपना हीरो क्यों मानते हैं? विज्ञान और इतिहास ने यह सिद्ध कर दिया है कि हिन्दुस्तान सबका है और सबके पूर्वज एक ही हैं क्योंकि पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्खिन के सभी निवासी, वे चाहे अपने को आर्य कहें, द्रविड़ कहें, शूद्र कहें, ब्राह्मण कहें, आदिवासी कहें, नगरवासी कहें, हिन्दू कहें या मुसलमान कहें – सबका डी.एन.ए. तो एक ही है।

 

 

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.