सामाजिक

सड़क पर सिसक रहा काठमांडू

नेपाल के साथ साथ उत्तर भारत में भी कई जगहों पर भूकंप आया. उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, बिहार, बंगाल. पर अगर सबसे ज्यादा नुकसान किसी को हुआ भूकंप से तो वह देश है नेपाल और राज्य है बिहार. यहाँ पर भूकंप ने जो कहर बरपाया है वह कहने और बोलने वाला नहीं है क्योंकि नेपाल में इस तरह भूकंप आया कि घर तो गिरे ही गिरे धरती भी फट गई. शनिवार को आए भूकंप की तीव्रता का मान 7.9 था, पर रविवार को सुबह ही फिर 6.9 की तीव्रता से भूकंप आया और तबाही मचा कर चला गया. नेपाल में लगातार 2 दिन भूकंप ने जो कहर ढाया है वह नेपाल की बर्बादी का हिस्सा बन गया. नेपाल खड़ा ही हुआ था कि बर्बाद कर चली गई आँधी, न घर बचे न घरवासी.

Nepal-APअब तो नेपाल बन गया है कब्रिस्तान. नेपाल में मरने वालो की संख्या बढ़ती नजर आ रही है शनिवार को मरने वालो की संख्या 1800 थी पर रविवार को यही संख्या तिगुना हो गया है अब तक 3000 से ज्यादा लाशों को निकाला जा चुका है और लोगो के दबे होने की आशंका है अभी भूकंप आया ही था कि बारिश ने भी खलल मचा दी. आखिर नेपाल से दुश्मनी क्या जो नेपाल में भूचाल आ गया? लगातार दो दिनों से भूकंप के झटको से दहल गया है. बिहार ,दिल्ली ,उत्तर प्रदेश. बिहार में भी 70 लोगो के मरने की खबर है और 3000 से ज्यादा लोग घायल हैं.

क्या मोड़ आया है कहानी में नेपाल बिहार मिल गया है पानी में. नेपाल की हर कोसिस मदद कर रहा है हिंदुस्तान. बड़े भाई का फर्ज निभा रहा है हिंदुस्तान. प्रधानमंत्री ने अपने एयर फ़ोर्स को नेपाल में लगा दिया है. पने नेपाली भाई बहनो को बचाने में अब मुंबई से हमारे दमकल कर्मचारी भी नेपाल के मदद करने के लिए रवाना होंगे क्योंकि भारत नेपाल के हर नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करेगा और प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल वासियों को हर तरह की मदद की घोषणा की है.earthquake

नेपाल के लोगो को इलाज के लिए मुंबई और दिल्ली तक लाया जा रहा है और नेपाल के लोगो को घर खली कराया जा रहा है और उन्हें खुले मैदान में रहने की हिदायत दी जा रही है. नेपाल के राष्ट्रपति ने भी अपना पूरा दिन एक टेंट में गुजरा और नेपाल के प्रधानमंत्री ने नेपाल के लोगो से रक्त दान करने की सलाह दी है क्योंकि नेपाल के हॉस्पिटल में एडमिट नेपाली भाई बहनो को खून की कमी हो रही है जिसके लिए नेपाल के सब लोगो को रक्त दान करने की सलाह दी गई है और वंही दूसरी ओर हिंदुस्तान के लोगों को भी सलाह दी गई है कि भूकंप से बच के रहे क्यों उत्तर भारत में लखनउ, बिहार, दिल्ली में भी भूकंप से कई घर तबाह हो गए हैं जिसके लिए सरकार ने अलर्ट जारी किया है और लोगो को सुरछित जगह पर रहने के लिए कहा गया है.

नेपाल में हुई तबाही को देख सभी लोग डरे और सहमे हुए हैं और लोगो ने प्रार्थना करनी शुरू कर दी है कि यह तबाही यंही ख़त्म हो जाए. पर यह है कि रुकने का नाम नहीं ले रही है. आखिर कब ख़त्म होगी तबाही? क्यों नहीं रुकने का नाम ले रहा है भूकंप? नेपाल के भूकंप ने भारत तक अपना असर छोड़ा, बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 66 लोगों ने भूकंप की इस तबाही में अपनी जान गंवा दी. भूकंप ने लोगों को इस कदर दहशत से भर दिया है कि सैकड़ों लोग अब घरों की बजाय खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे हैं. बिहार में भूकंप ने लोगों को किस कदर दहशत से भर दिया है. भूकंप कहीं फिर से बड़ी आफत ना ले आए, लिहाजा खुले आसमान के नीचे करीब दो से तीन हजार लोगों ने रात गुजारी.  रात तो रात दिन में भी लोग खौफ में दिख रहे हैं. मोतिहारी में रविवार को सैकड़ों लोग मैदान में जमा हो गए.

 नेपाल में शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप ने राजधानी पटना समेत बिहार के पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, कटिहार, सीतामढ़ी, दरभंगा, शिवहर, सुपौल, अररिया, मोतीहारी, सारण और सहरसा में भी तबाही मचाई थी. भूकंप से हुई मौतों की बात करें तो अकेले बिहार में 51 लोगों की जान जा चुकी है जबकि 170 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.

बिहार में भूकंप को लेकर दहशत पसरी हुई है. दूसरी तरफ सीएम नीतीश कुमार अलग अलग विभागों के अधिकारियों के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं और बचाव और राहत के कामों का जायजा ले रहे हैं. सरकार से दी गई जानकारी के मुताबिक एनडीआरएफ की 4 टीमें भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित बिहार के गोपालगंज, मोतिहारी, सुपौल और दरभंगा जिलों में तैनात हैं और दिन रात मदद में जुटी हैं.

 देश के आंकड़ों की बात करें तो बिहार को मिलाकर अब तक कुल 62 लोगों की मौत भूकंप की वजह से हुई है और कुल 259 लोग घायल हुए हैं. भूकंप में 56 इमारतें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं जबकि 248 घरों को किसी ना किसी रूप से नुकसान पहुंचा है.

सरकार के मुताबिक रविवार को और 4 टन खाना और इतनी ही दवाएं बिहार, यूपी और पश्चिम बंगाल के भूकंप प्रभावित हिस्सों में रवाना की गई हैं.. पानी की बोतलें, स्ट्रेचर और जरूरत की दूसरी चीजें भी भेजी गई हैं.

देश में भूकंप से जिन लोगों की जान गई है. उनके परिजनों को राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से मिलने वाली मुआवजे की राशि बढ़ा दी गई है. परिवार को अब 2.5 लाख की बजाय 4 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा. पीएम राहत कोष से और 2 लाख रुपये अलग से दिए जाएंगे जबकि गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का एलान किया गय़ा है.

नेपाल और देश में भूकंप के हालात पर केंद्र सरकार लगातार नजरें जमाए हुए है. रविवार को भी पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों, अफसरों और मौसम विभाग के वैज्ञानिकों के साथ बैठक की.नेपाल में शनिवार को आए भीषण भूकंप में मृतकों की संख्या रविवार को बढ़कर 2500 हो गई. नेपाल के गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी. नेपाली गृह मंत्रालय ने कहा कि भूकंप की वजह से कम से कम 2500 लोगों की मौत हो चुकी है और 5936 घायल हुए हैं. यह आंकड़ा रविवार रात 8.30 बजे तक का है. भूकंप से 11 जिले प्रभावित हैं लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में काठमांडू, सिंधुपालचौक, ललितपुर, गोरखा और भक्तपुर शामिल हैं.हिमालय की गोद में बसा नेपाल अभी शनिवार को आए भीषण जलजले से उबर नहीं पाया था कि रविवार को एक बार फिर आए 6.9 तीव्रता के भूकंप के झटकों ने स्थिति को और भयावह बना दिया. शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप से मची तबाही में अब तक 2,500 लोगों की मौत हो चुकी है, तथा दसियों हजार लोगों को मजबूरन रात सड़कों पर गुजारनी पड़ी.

काठमांडू स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने रविवार को बताया कि शनिवार को आए भूकंप से 66 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. वहीं नेपाल के पर्यटन मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन से 18 पर्वतारोहियों की मौत हो गई है, जिसमें विदेशी नागरिक भी शामिल हैं.

इस बीच पूरी दुनिया से नेपाल के लिए आपदा राहत पहुंचने लगी है और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूकंप पर एक उच्चस्तरीय बैठक की और कहा, “मैं समझ सकता हूं कि नेपालवासी इस समय किस मनोदशा से गुजर रहे हैं..नेपाल के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों हम आपके साथ हैं.”

गृह मंत्रालय के अनुसार, भूकंप में मरने वालों की संख्या 2,309 तक पहुंच गई है, जबकि 5,805 अन्य के घायल होने की खबर है. 1934 के बाद नेपाल में आई यह सबसे विनाशकारी भूकंप है.

अतिरिक्त नुकसान के डर और परेशानी के बीच काठमांडू में रहने वाले सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर रात बिताई. लोगों ने प्लास्टिक शीट पर और कार्डबोर्ड पर कंबल में रात गुजारी. अस्पताल में जख्मी लोगों के पहुंचने का तांता लगा हुआ है तथा चिकित्सक और नर्स लगातार उनके उपचार में लगे हुए हैं.

गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक, अकेले काठमांडू में 723 लोग मारे गए हैं, जबकि राजधानी से 13 किलोमीटर दूर भक्तपुर में 205 लोगों की मौत हुई है. राजधानी से पांच किलोमीटर दूर ललितपुर में 125 लोग मारे गए हैं.  मरने वालों में दो विदेशी और दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. बयान में चेताया गया है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है.

इस आपदा में 4,600 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. नेपाली मीडिया की रपट के मुताबिक, सिंधुपालचौक जिले में 80 लोगों की मौत हुई है.

सरकार ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है और क्षतिग्रस्त अवसंचनाओं के पुनर्निर्माण के लिए 50 करोड़ नेपाली रुपये का कोष बनाने की घोषणा की गई है.नेपाल के समाचार पत्र कांतीपुर डेली के मुताबिक, पूरे दिन आने वाले झटकों में बसंतपुर दरबार स्थित 80 फीसदी मंदिर तबाह हो चुके हैं.

धरहरा में मीनार के मलबे में से करीब दो दर्जन शव बरामद हुए हैं. 83 साल पहले इसी प्रकार के एक भूकंप में धरहरा कई भागों में टूट गई थी. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, “मानूसन के तेजी से आने की वजह से राहत और बचाव अभियानों में बाधा आ सकती है.”

संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कॉर्डिनेटर जैमी मैकगोलड्रिक ने कहा, “हम इस दुखद त्रासदी में नेपाल सरकार का सहयोग करने को तैयार हैं.”

उन्होंने कहा, “यह जरूरी है कि हम तीव्र और प्रभावी कदम उठाएं. हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि आगे किसी की मौत न हो और अधिक जरूरतमंदों की मदद करने को प्राथमिकता दी जाए.”

राष्ट्रपति राम बरन यादव के कार्यालय-सह-निवास में दरारें पड़ गईं, जिसकी वजह से उन्होंने शनिवार रात एक शिविर में बिताई.

राष्ट्रपति कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यादव और उनके सुरक्षाकर्मियों ने पूरी रात शिविर में बिताई. एक अधिकारी ने कहा, “राष्ट्रपति यादव अभी भी अपने शिविर में हैं.”

प्रधानमंत्री निवास का मुख्य द्वार क्षतिग्रस्त हो गया है, जिस समय देश में भूकंप आया, प्रधानमंत्री सुशील कोईराला इंडोनेशिया में थे. इस बीच भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल की मदद के लिए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.

मोदी ने कहा, “मैंने कच्छ भूकंप को निकट से देखा है. यह आपदा कितनी भयानक हो सकती है, उसकी कल्पना कर सकता हूं. नेपाल के भाइयों बहनों आपकी मदद के लिए भारत हमेशा आपके साथ है.”

उन्होंने कहा, “सबसे पहला काम है राहत कार्य, लोगों को बचाना, एक्सपर्ट लोगों की टीम भेजी गई है. इस आपदा के समय हर नेपाली के आंसू भी पोछेंगे, उनका साथ भी देंगे. उन लोगों का दुख भी हमारा दुख है. मलबे के नीचे जो जीवित दबे हैं उन्हें जिंदा बाहर निकालना पहला काम है. सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए नेपाल अपना है.”

नेपाल में रविवार तक भूकंप के 35 झटके

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि नेपाल में रविवार तक कम से कम भूकंप के 35 झटके (आफ्टरशॉक ) दर्ज हुए. भूकंप के कुछ झटके भारत में भी महसूस हुए. पूर्वाह्न 11.41 बजे रिक्टर पैमाने पर 7.9 तीव्रता के भूकंप से शनिवार को नेपाल सहित भारत के उत्तरी और पूर्वोत्तर शहर दहल उठे. इन शहरों में दिल्ली, गुवाहाटी, कोलकाता और जयपुर शामिल हैं.

आईएमडी वेबसाइट के मुताबिक, शनिवार को 23 और रविवार को 12 झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर 5 तीव्रता के भूकंप का ताजा झटका रविवार को दोपहर 12.56 बजे दर्ज किया गया.

शनिवार को दोपहर 12.15 बजे 6.6 तीव्रता के झटके महसूस किए गए, जबकि रविवार को दोपहर 12.39 बजे 6.9 तीव्रता का झटका महसूस किया गया.

नेपाल को अमेरिका से 10 लाख डॉलर आपात सहायता

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद अमेरिका ने रविवार को कहा कि वह मदद मुहैया कराने के लिए नेपाल सरकार के साथ काम कर रहा है. काठमांडू स्थित अमेरिकी राजदूत ने 10 लाख डॉलर की आपात सहायता की घोषणा की है.

नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपने एक बयान में कहा कि अमेरिका नेपाल के सभी भूकंप प्रभावितों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता है. बयान में कहा गया है, “अमेरिका इस कठिन समय में नेपाल के लोगों और उस क्षेत्र के साथ खड़ा है.”

नेपाल में अमेरिकी राजदूत पीटर बोड ने आपात सहायता के लिए शुरुआती 10 लाख डॉलर जारी करने के लिए आपदा घोषणापत्र जारी किया. यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट आपदा विशेषज्ञों के साथ काम करने के लिए और स्थिति का मूल्यांकन करने में सहायता करने के लिए आपदा सहायता कार्रवाई बल तैनात करने और शहरी खोज और बचाव दल को सक्रिय करने की तैयारी कर रहा है.

बयान में कहा गया है कि अमेरिकी सेना के चिकित्सक भी काठमांडू में मौजूद हैं. वे नेपाली सेना के साथ मिलकर उन्हें सहायता करने के तरीकों पर बात करेंगे. साथ ही अमेरिका नेपाल सरकार को सहायता जारी रखेगा.

 नागेश शुक्ला

One thought on “सड़क पर सिसक रहा काठमांडू

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    नेपाल में जो हुआ उस को देख कर रूह कांप उठी है , इस को बिआं करना बहुत कठिन है और भारत जो कर रहा है यह तो हमारा फ़र्ज़ ही था . हर भारतवासी को कन्त्रीबिऊत करना चाहिए.

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