क्षणिका

क्षणिकायें…

1-क्या तुम….

क्या तुम मृगतृष्णा हो या माया हो
या
आईने के भीतर की
कभी न पकड़ आनेवाली छाया हो

2-खलिश…..

जाते जाते

छोड़ जाते हो

सीने में खलिश

तब

घेर लेता है मुझे

इश्क़ का आतिश

(खलिश =चुभन ,आतिश =अग्नि )

3-लब…

होता होगा
कुछ तो मतलब
जिसे कह नहीं पाये
आज तक तेरे लब

4-हिलमिल…

तेरी कविता और मेरे काव्य के दिल
एक दूसरे से गये हैं हिलमिल

5-रात..

बीच में ये आती है क्यों रात
तुमसे
हो नहीं पाती है मुलाकात

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.