गीतिका/ग़ज़ल

लोगों के डर से………

 

लोगों के डर से मुझ से तुम चले, दूर जाते हो
पास आने के लिए फिर हो,मजबूर जाते हो

यूँ तो तेरे ख्वाब में ,तेरे ख्यालों में ही रहता हूँ
जहाँ मिले थे पहली बार, वहाँ जरूर जाते हो

नरम बालू सा धूल सा बिछा रहा तेरे कदमों तले
न जाने क्यों फिर भी तुम मुझसे रूठ जाते हो

प्यार को आजीवन निभाने का वादा किया हूँ मैं
बार बार क्यों आईने के शीशे सा तुम टूट जाते हो

बादल की छाँह सा तुम साथ रहते हो मेरे हरदम
अचानक तन्हा कर किसी मोड़ से क्यों मुड जाते हो

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “लोगों के डर से………

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह ! वाह !!

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