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आईना बोलता है

नेपाल की भयावह त्रासदी की विभीषिका को सभी संवेदनशील अपनी अपनी क्षमता और विवेक के अनुसार कम करने के प्रयास में हैं, यह एक अच्छी बात है। परन्तु, ऐसे भी लोग हैं जो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें उदास नहीं होना चाहिये। उनके लब पर आती हर दुआ ईश्वरीय अनुकंपा बन किस्मत के मारों तक पहुँच रही होगी, इसमें संदेह नहीं है। पर इस अक्षमता का मतलब यह नहीं होना चाहिये कि आप कुछ अप्रत्याशित करने लगें ।

हम सब जानते हैं कि हमारी रेल सेवा राम भरोसे है। हाँ जी, वो वाकई ‘प्रभु’ भरोसे है, आपको संशय हो तो पता कर सकते हैं। आज जब मोदी जी अपनी वानर सेना के साथ जी जान से नेपाल के लोगों की मदद में दुनिया भर से तारीफ पा रहे हैं, और इसका डंका बजाने से भी नहीं चूक रहे हैं, तो ‘प्रभु’ भी अपनी अनुकंपा से पीछे कैसे रह सकते हैं। बस, आव देखा न ताव, झट से घोषणा कर दी कि भूकंप से पीड़ित नेपाल वासियों को फ्री रेल यात्रा की सुविधा दी जाएगी। इस दरियादिली पर पूरा रेल मंत्रालय तालियों की गड़गड़ाहट से भूकंप की तरह हिल गया। बधाइयों के बड़े बड़े रिलीफ पैकेज मीडिया के हैलीकाॅप्टरों से गिराये जाने लगे। परन्तु, मुझे इसमें आनन्दित होने वाली कोई बात नज़र नहीं आयी। आप सही कह रहे हैं कि मेरी नज़र कमजोर हो सकती है, पर इतनी मी कमजोर नहीं है कि संजीदगी और हास्यास्पद में भेद न कर सके।

भूकम्प नेपाल में आया है, और, कभी IAS परीक्षा की तैयारी करते समय जो थोड़ा बहुत सामान्य ज्ञान मैं जोड़ पाया हूँ, मुझे नहीं लगता कि नेपाल में कहीं भी रेल चलती है। और यदि चलती भी होगी तो, तय है, उसे हमारा रेल मंत्रालय नहीं चला रहा होगा । हाँ, सुनने में आया था कि चीन एवरेस्ट तक रेल लाइन बिछाने के मंसूबे बाँध रहा है, पर वो किस्सा बाद में। तो   फिर ! किन यात्रियों के लिये यात्रा फ्री की गयी  है ? अगर ‘प्रभु’ की मंशा उनसे है जो नेपाल से भारत आ रहे हैं तो ये वहाँ फँसे भारतीय पर्यटक ही होंगे, क्योंकि नेपाल का नागरिक भूकम्प के डर से भारत में तो आ नहीं बसेगा। और अगर ये पता चला कि भूकम्प के मारे फ्री सफर कर रहे हैं तो सभी प्लास्टर पट्टी बाँध के पहुँच जाएँगे सुविधा का लाभ उठाने । कैसे करेंगे आप अस्ली-नकली का फर्क ?

‘देख हमें बारात चले, तो सभी बिना सामान चले’ ! वाह, ‘प्रभु’, वाह ! आप की माया अपरंपार है।

मनोज पाण्डेय 'होश'

फैजाबाद में जन्मे । पढ़ाई आदि के लिये कानपुर तक दौड़ लगायी। एक 'ऐं वैं' की डिग्री अर्थ शास्त्र में और एक बचकानी डिग्री विधि में बमुश्किल हासिल की। पहले रक्षा मंत्रालय और फिर पंजाब नैशनल बैंक में अपने उच्चाधिकारियों को दुःखी करने के बाद 'साठा तो पाठा' की कहावत चरितार्थ करते हुए जब जरा चाकरी का सलीका आया तो निकाल बाहर कर दिये गये, अर्थात सेवा से बइज़्ज़त बरी कर दिये गये। अभिव्यक्ति के नित नये प्रयोग करना अपना शौक है जिसके चलते 'अंट-शंट' लेखन में महारत प्राप्त कर सका हूँ।

3 thoughts on “आईना बोलता है

  • प्रीति दक्ष

    behad sateek aur chuteeli tippani ..

  • विजय कुमार सिंघल

    हा…हा….हा… आपने सही मुद्दा उठाया है. लेकिन मुझे लगता है कि आपको समझने में थोड़ी भूल हो गयी है. सुरेश प्रभु का कथन उन भारतीय लोगों के लिए हो सकता है जो नेपाल में भूकंप से बचकर आये हैं और अब अपने मूल स्थानों को जा रहे हैं. समाचार ठीक से पढ़िए और बताइए.

    • Manoj Pandey

      आखिरी बड़े पैरा को सातवीं लाइन के आगे से पुनः अवलोकन करें । आप का उत्तर शायद यहाँ मलबे के नीचे दबा हो !

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