क्षणिका

क्षणिकायें..

क्षणिकायें..

१-
कौन सोचता है

तेरे प्यार में जीने लगा हूँ

जान देने की

कौन सोचता है

तेरे प्यार की झील में

तैरने लगा हूँ

डूबने की कौन सोचता है

२-
उन्हें

उन्हें आता नहीं है
प्यार जताना
आता है तो
चुप रह कर
सिर्फ तड़फ़ाना

३-
मुलाकात

हर मुलाकात को

आखरी मान कर

मिला करो

क्योंकि जिंदगी का

कोई भरोसा नहीं होता

४-
पैगाम

कई दिन कई माह कई बरस

बीतने के बाद

आई है वो शाम

जिसके लिए बरसो पहले

दिया था मैंने

उन्हें पैगाम

५-
लब

खामोश रहते है तेरे लब

समझ लेता हूँ मैं

उनकी ख़ामोशी का मतलब

६-
खबर

अब तेरी निगाहों में

मैं आने लगा हूँ नज़र

पर तुझे इस बात की

जरा सी भी नहीं है खबर

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

One thought on “क्षणिकायें..

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी क्षणिकाएं !

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